Looking for the best collection of Chaand Shayari in Hindi चाँद पर शायरी इन हिंदी? Then here we have the special चाँद पर शायरी इन हिंदी written by famous poets like Gulzar Saab and Ghalib.
You can send these Moon Shayari to your wife, husband, boyfriend and girlfriend.
Chaand Shayari Gulzar
ऐसा लगता है कुछ होने जा रहा है,
कोई मीठी सपनो मे खोने जा रहा है,
धीमी कर दे अपनी…
ना चाँद चाहिए ना फलक चाहिए
मुझे बस तेरी की एक झलक चाहिए |
नींद काथ हो,
सपनो की बारात हो,
चाँद सितारे भी साथ हो,
ओर कुछ रहे ना रहे,
पर हमारी यादे…
आज भीगी हें पलके तुम्हारी याद में
आकाश भी सिमट गया अपने आप में
औंस की बूँद ऐसे गिरी ज़मीन पर
मानो चाँद भी रोया हो तेरी की याद मे |
देखो फिर रात आ गयी,
गुड नाइट कहने की बात याद आ गयी,
हम बैठे थे सितारो की पनाह में,…|

है चाँद सितारों में चमक तेरे प्यार की
हर फूल से आती है महक तेरे प्यार की |
एक अदा आपकी दिल चुराने की
एक अदा आपकी दिल में बस जाने की
चेहरा आपका चाँद और जिद हमारी चाँदको पाने की |
तस्वीर बना कर तेरी आस्मां पे टांग आया हूँ ,
और लोग पूछते हैं आज चाँद इतना बेदाग़ कैसे है |
रात का चाँद आसमान में निकल आया है.
साथ में तारों की बारात लाया है.
ज़रा आसमान की ओर देखो…
Chand Par Shayari Urdu
ना जाने किस रैन बसेरो की तलाश है इस चाँद को…..।।
रात भर बिना कम्बल भटकता रहता है इन सर्द रातो में….।।
हमने क़सम खायी है चाँद को चाँद रहने देंगे ..
चाँद में अब तुम को ना ढूँढा करेंगे ..
ख्वाबो की बातें वो जाने जिनका नींद से रिश्ता हो,
मैं तो रात गुजारती हुँ चाँद को देखने में…
चाँद तारो में नज़र आये चेहरा आपका
ब से मेरे दिल पे हुआ है पहरा आपका |
रात में एक टूटता तारा देखा बिलकुल मेरे जैसा था…
चाँद को कोई फर्क नहीं पड़ा बिलकुल तेरे जैसा था !
ये दिन हैं जब.. चाँद को देखे.. मुद्दत बीती जाती है,
वो दिन थे जब चाँद हमारी छत पे आया करता था.

एक खोया खोया चाँद हे जो हे खफा खफा…
एक टुटा टुटा ख्वाब हे जो हे तुझसे हे जुड़ा…
एक आधी आधी आस हे जो अधूरी रह गयी…
पत्थर की दुनिया जज़्बात नही समझती,
दिल में क्या है वो बात नही समझती,
तन्हा तो चाँद भी सितारो के बीच में है,
पर चाँद का दर्द वो रात नही समझती |
ऐ हसीन चाँद मेरे दोस्त को एक तोहफा देना,
लाखो तारों की सजी महेफिल संग रोशनी करना,
तुम छुपा लेना…
वैसे तो कई दोस्त है हमारे जैसे आसमान में है कई तारे
पर आप दोस्ती के आसमान के वो चाँद है जिसके सामने फीके पड़ते हैं सारे सितारे.
रात खामोश है चाँद भी खामोश है
पर दिल में शोर हो रहा है कही ऐसा तो नहीं
पियारा सा.|
Two line shayari on chand
वो थका हुआ मेरी बाहों में ज़रा सो गया था तो क्या हुआ,
अभी मैं ने देखा है चाँद भी किसी शाख़-ए-गुल पे झुका हुआ !
तुम सुबह का चाँद बन जाओ, मैं सांझ का सूरज हो जाऊँ!
मिलें हम-तुम यूँ भी कभी, तुम मैं हो जाओ…मैं तुम हो जाऊँ…
नजर में आपकी नज़ारे रहेंगे; पलकों पर चाँद सितारे रहेंगे;
बदल जाये तो बदले ये ज़माना; हम तो हमेशा आपके दीवाने रहेंगे |
चाँद तो अपनी चाँदनी को ही निहारता है
उसे कहाँ खबर कोई चकोर प्यासा रह जाता है |
रात भर तेरी तारीफ़ करता रहा चाँद से
चाँद इतना जला …….. कि सूरज हो गया
चाँद के साथ कई दर्द पुराने निकले
कितने ग़म थे जो तेरे ग़म के बहाने निकले |

इतने घने बादल के पीछे,
कितना तन्हा होगा चाँद!|
तू चाँद और मैं सितारा होता, आसमान में एक आशियाना हमारा होता,
लोग तुम्हे दूर से देखते,नज़दीक़ से देखने का, हक़ बस हमारा होता..!!
जब कभी बादलों में घिरता है
चाँद लगता है आदमी की तरह |
कहकशां, चाँद, सितारें तेरे चूमेंगे कदम
तेरे रस्ते की मैं एक धूल हूँ, उड़ जाऊँगा |
बेसबब मुस्कुरा रहा है चाँद
कोई साजिश छुपा रहा है चाँद
चलो चाँद का किरदार अपना लें हम दोस्तों…..
दाग अपने पास रखें और रौशनी बाँट दें…
दिन में चैन नहीं ना होश है रात में
खो गया है चाँद भी देखो बादल के आगोश में |
Chand Shayari Ghalib
ये दिल न जाने क्या कर बैठा, मुझसे बिना पूछे ही फैसला कर बैठा,
इस ज़मीन पर टूटा सितारा भी नहीं गिरता, और ये पागल चाँद से मोहब्बत कर बैठा..!!
जिन आँखों में काजल बन कर तैरी काली रात
उन आँखों में आंसू का इक कतरा होगा चाँद।
नजर में आपकी नज़ारे रहेंगे; पलकों पर चाँद सितारे रहेंगे;
बदल जाये तो बदले ये ज़माना; हम तो हमेशा आपके दीवाने रहेंगे
चाँद होता न आसमानों पे अगर,
हम किसे आप सा हसीं कहते |

रातों में टूटी छतों से टपकता है चाँद…
बारिशों सी हरकतें भी करता है चाँद |
चाँद आहें भरेगा फूल दिल थाम लेंगे !
हुस्न की बात चली तो सब तेरा नाम लेंगे !!
बज़्म ऐ ख़याल में तेरे हुस्न की शमा जल गई …
दर्द का चाँद बुझ गया, हिज्र की रात ढल गई |
ओ, मेरी बाहोँ मे शर्माते लजाते ऐसे तुम आए,
कि जैसे बाद्लों मे चाँद धीरे धिरे आ जाए |
तुम आ गये हो तो फिर चाँदनी सी बातें हों ,
ज़मीं पे चाँद कहाँ रोज़ रोज़ उतरता है .
चाँद मत मांग मेरे चाँद जमीं पर रहकर,
खुद को पहचान मेरी जान खुदी में रहकर.|
हर रास्ता एक सफ़र चाहता है, हर मुसाफिर एक हमसफ़र चाहता है,
जैसे चाहती है चांदनी चाँद को, कोई है जो तुमको इस कदर चाहता है,
ज़ख़्म दिल के गहरे है, आज वो मिले मुझको दर्द जिसको रास है ,
ऐसा लगता है जैसे, चाँद फिर उदास है,

बुझ गये ग़म की हवा से, प्यार के जलते चराग,
बेवफ़ाई चाँद ने की, पड़ गया इसमें भी दाग |
चाँद खिड़की से झाकेगा आदतन, चांदनी फिरसे दिल जलाएगी.
रात तनहा सहर तक जाएगी.
आंसुओं से धुली ख़ुशी की तरह // रिश्ते होते हैं शायरी की तरह ..
जब कभी बादलों में घिरता है // चाँद लगता है आदमी की तरह |
सारी रात गुजारी हमने इसी इन्तजार में की
अब तो चाँद निकलेगा आधी रात में |
ना चाँद निकला ,ना तुमने दस्तक दी
कितनी बोझिल है आज की ये शाम |\
तनख्वाह वाले रोज की रौनक/ ताम्बई सिक्के जैसा चाँद
दिन-भर के भूखे-प्यासे को / रोटी जैसा दिखता चाँद |
जो जागते है रातभर, तुम उनका सवेरा क्या जानो..
तुम चाँद हो पूनम का, क्या होता है अँधेरा क्या जानो….!!
हमारे हाथों में इक शक्ल चाँद जैसी थी /
तुम्हे ये कैसे बतायें वो रात कैसी थी |
वो दूर दूर सही हमेँ है उसकी जुस्तज़ू,
चाँद का अपना ग़ुरूर और हमारी अपनी ज़िद..
तू चाँद और मैं सितारा होता, आसमान में एक आशियाना हमारा होता,
लोग तुम्हे दूर से देखते,नज़दीक़ से देखने का, हक़ बस हमारा होता..!!
पूछो इस चाँद से कैसे सिसकते थे हम,
उन तन्हा रातों में तकिये से लिपटकर रोते थे हम,
तूने तो देखा नही छोड़ने के बाद,
दिल का हर एक राज़ चाँद से कहते थे हम।

आज टूटेगा गुरूर चाँद का देखना दोस्तो,
आज मैंने उन्हें छत पर बुला रखा है।
खूबसूरत गज़ल जैसा हैं तेरा चाँद सा चेहरा,
नजरें शायरी पढ़ती है तों होठ इरशाद करते है…
इजाजत हो तो मै भी आपके निकट आ जाउ
देखो ना चाँद के पास भी तो एक सितारे है..
रात को रोज़ डूब जाता है…
चाँद को तैरना सिखाना है मुझे।
प्रभात हुई कि जगानें लगता है हमकों सूरज
कहता है बडा घमंड था अपने चाँद पर अब कहो.
वो थका हुआ मेरी बाहों में ज़रा सो गया था तो क्या हुआ,
अभी मैं ने देखा है चाँद भी किसी शाख़-ए-गुल पे झुका हुआ !
ना चाँद चाहिए ना फलक चाहिए
मुझे बस तेरी की एक झलक चाहिए
रात में एक टूटता तारा देखा बिलकुल मेरे जैसा था…
चाँद को कोई फर्क नहीं पड़ा बिलकुल तेरे जैसा था !
व्याकुल इस तरह था कि सो ना सका रात भर
नयनों से लिख रहा था तेरा नाम चाँद पर
चाँद तो अपनी चाँदनी को ही निहारता है
उसे कहाँ खबर कोई चकोर प्यासा रह जाता है .
चाँद हो या न हो, चांदनी रात है,
मैं तेरे साथ,तू मेरे साथ है !
चाँद भी दीदार के काबिल ना रहे
कोई प्यार के काबिल ना रहे
इस दिल में बस गई है प्यार के लिए नफरत
अब तो कोई इंतजार के काबिल ना रहे

चाँद के काली घटा छाती तो होगी
सितारों को मुस्कराहट आती तो होगी
तुम लाख छिपाओं दुनियां से
मगर अकेले में तुम्हें अपनी शक्ल पे हंसी तो आती ही होगी
चाँद हो या न हो, चांदनी रात है,
मैं तेरे साथ,तू मेरे साथ है !
पटाखो के सग रॉकेट की मार,
सूरज की किरने खुशियो की बहार.
चाँद की चाँदनी ओर अपनो का प्यार,
मुबारक…
Chand Shayari for GF
ऐ चाँद चला जा क्यों आया है तू मेरी चौखट पर,
छोड़ गया वो शख्स जिसके धोखे में तुझे देखते थे।
बिन तमन्ना भी मेरे होठों पर
ये फरियाद आ जाती है,
ऐ चाँद सामने न आ
किसी की याद आ जाती है।
ना जाने किस रैन बसेरो की तलाश है इस चाँद को…..।।
रात भर बिना कम्बल भटकता रहता है इन सर्द रातो में….।।
चांदनी रातों में सारा जहाँ सोता होगा,
लेकिन किसी की यादों में कोई बदनसीब रोता है
खुदा किसी को हसीना पर फ़िदा ना करे
अगर करे तो फिर उनसे जुदा ना करें.
तस्वीर बना कर तेरी आस्मां पे टांग आया हूँ ,
और लोग पूछते हैं आज चाँद इतना बेदाग़ कैसे है
एक आदत आपकी दील चुराने की
एक तमन्ना आपके दिल मे बस जाने की,
चेहरा आपका चाँद सा और एक…
इच्छा हमारी उस चाँद को पाने की।

इजाजत हो तो मैं भी तुम्हारे पास आ जाऊँ,
देखों ना चाँद के पास भी तो एक सितारा है..
चाँद तारो मे नज़र आये चेहरा तेरा
जब से मेरे दिल का हुआ है पहरा तुम्हारा
ये दिन हैं जब.. चाँद को देखे.. मुद्दत बीती जाती है,
वो दिन थे जब चाँद हमारी छत पे आया करता था.
चाँद सितारे शायरी
जैसे पूनम की रात में चाँद बदल जाता है
वैसे वक्त के साथ इंसान बदल जाता है
हम सोचते है कि आपकों तंग न करे
मगर सोचते सोचते ख्याल बदल जाता हैं.
वों चाँद है मगर आपसे प्यारा नही
परवाने का शमा के बिन गुजारा नही
मेरे दिल ने सुनी है मोटी सी आवाज
कही आपने मुझे पुकारा तो नही
चाँद मत मांग मेरे चाँद जमीं पर रहकर,
खुद को पहचान मेरी जान खुदी में रहकर.
चाँद तारो में नज़र आये चेहरा आपका
जब से मेरे दिल पे हुआ है पहरा आपका
एक आदत आपकी दील चुराने की
एक तमन्ना आपके दिल मे बस जाने की,
चेहरा आपका चाँद सा और एक…
इच्छा हमारी उस चाँद को पाने की।
नजर में आपकी नज़ारे रहेंगे; पलकों पर चाँद सितारे रहेंगे;
बदल जाये तो बदले ये ज़माना; हम तो हमेशा आपके दीवाने रहेंगे
बेचैन इस क़दर था कि सोया न रात भर
पलकों से लिख रहा था तेरा नाम चाँद पर
वैसे तो कई दोस्त है हमारे जैसे आसमान में है कई तारे
पर आप दोस्ती के आसमान के वो चाँद है जिसके सामने फीके पड़ते हैं सारे सितारे.
कभी तो आसमान से चाँद उतरे जाम हो जाए,
तुम्हारे नाम की एक ख़ूबसूरत शाम हो जाए।
न चाहते हुए भी मेरे लब पर
ये फरियाद आ जाती है,
ऐ चाँद सामने न आ
सनम की याद आ जाती है।

तुझको देखा तो फिर उसको ना देखा मैं,
चाँद कहता रह गया मैं चाँद हूँ मैं चाँद हूँ।
कल चौदहवी की रात थी रात भर रहा चर्चा तेरा,
कुछ ने कहा ये चाँद है, कुछ ने कहा चेहरा तेरा।
क्यूँ मेरी तरह रातों को रहता है परेशाँ,
ऐ चाँद बता किस से तेरी आँख लड़ी है।
ऐ चाँद मुझे बता तू मेरा क्या लगता है,
क्यूँ मेरे साथ सारी रात जगा करता है,
मैं तो बन बैठा हूँ दीवाना उनके प्यार में,
क्या तू भी किसी से बेपनाह मोहब्बत करता है।
मुन्तज़िर हूँ कि सितारों की जरा आँख लगे,
चाँद को छत पे बुला लूँगा इशारा करके।
रात भर आसमां में हम चाँद ढूढ़ते रहे,
चाँद चुपके से मेरे आँगन में उतर आया।
क्यों मेरी तरह रातों को रहता है परेशान,
ऐ चाँद बता किस से तेरी आँख लड़ी है।
दिन में चैन नहीं ना होश है रात में
खो गया है चाँद भी देखो बादल के आगोश में
मेरा और चाँद का मुक़द्दर एक जैसा है,
वो तारो में अकेला मैं हजारो में अकेला।
चाँद में नज़र कैसे आए तेरी सूरत मुझको,
आँधियों से आसमाँ का रंग मैला हो गया।
तू अपनी निगाहों से न देख खुद को,
चमकता हीरा भी तुझे पत्थर लगेगा,
सब कहते होंगे चाँद का टुकड़ा है तू,
मेरी नजर से चाँद तेरा टुकड़ा लगेगा।
Urdu Poetry on Moon

उसके चेहरे की चमक के सामने सादा लगा,
आसमाँ पर चाँद पूरा था… मगर आधा लगा।
इक अदा आपकी दिल चुराने की,
इक अदा आपकी दिल में बस जाने की,
चेहरा आपका चाँद सा और एक
हसरत हमारी उस चाँद को पाने की।
पत्थर की दुनिया जज़्बात नहीं समझती,
दिल में क्या है वो बात नहीं समझती,
तनहा तो चाँद भी सितारों के बीच में है,
पर चाँद का दर्द वो रात नहीं समझती।
ऐ चाँद मुझे बता तू मेरा क्या लगता है,
क्यूँ मेरे साथ सारी रात जगा करता है,
मैं तो बन बैठा हूँ दीवाना उनके प्यार में,
क्या तू भी किसी से बेपनाह मोहब्बत करता है।
ढूँढता हूँ मैं जब अपनी ही खामोशी को,
मुझे कुछ काम नहीं दुनिया की बातों से,
आसमाँ दे न सका चाँद अपने दामन का,
माँगती रह गई धरती कई रातों से।

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