Top 10+ Life Poems in Hindi | जिंदगी पर कविताएँ

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Last Updated on August 8, 2023

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Hindi Poems on Life | जिंदगी पर कविताएँ | जीवन पर कविता

Here we have the Top 10+ Life Poems in Hindi | जिंदगी पर कविताएँ.

  1. जीवन | महादेवी वर्मा
  2. जीवन की एक जरूरी कविता | संतोष कुमार चतुर्वेदी
  3. उस दिन जब जीवन के पथ में | जयशंकर प्रसाद
  4. जीवन दीप | महादेवी वर्मा
  5. जीवन खोजता आधार | हरिवंशराय बच्चन
  6. बीत चला यह जीवन सब | किशन सरोज
  7. जीवन चुनौतियों से भरा है | कुमार मुकुल
  8. है हार नहीं यह जीवन में | हरिवंशराय बच्चन
  9. एक जीवन जी गया मैं भी तुम्हारे साथ देखो | अमित
  10. जीवन गीत | रमेश क्षितिज | राजकुमार श्रेष्ठ
  11. जीवन का सुख | अंकिता जैन

1.जीवन | महादेवी वर्मा

तुहिन के पुलिनों पर छबिमान,
किसी मधुदिन की लहर समान;
स्वप्न की प्रतिमा पर अनजान,
वेदना का ज्यों छाया-दान;
विश्व में यह भोला जीवन—
स्वप्न जागृति का मूक मिलन,
बांध अंचल में विस्मृतिधन,
कर रहा किसका अन्वेषण?
धूलि के कण में नभ सी चाह,
बिन्दु में दुख का जलधि अथाह,
एक स्पन्दन में स्वप्न अपार,
एक पल असफलता का भार;
सांस में अनुतापों का दाह,
कल्पना का अविराम प्रवाह;
यही तो है इसके लघु प्राण,
शाप वरदानों के सन्धान!
भरे उर में छबि का मधुमास,
दृगों में अश्रु अधर में हास,
ले रहा किसका पावसप्यार,
विपुल लघु प्राणों में अवतार?
नील नभ का असीम विस्तार,
अनल के धूमिल कण दो चार,
सलिल से निर्भर वीचि-विलास
मन्द मलयानिल से उच्छ्वास,
धरा से ले परमाणु उधार,
किया किसने मानव साकार?
दृगों में सोते हैं अज्ञात
निदाघों के दिन पावस-रात;
सुधा का मधु हाला का राग,
व्यथा के घन अतृप्ति की आग।
छिपे मानस में पवि नवनीत,
निमिष की गति निर्झर के गीत,
अश्रु की उर्म्मि हास का वात,
कुहू का तम माधव का प्रात।
हो गये क्या उर में वपुमान,
क्षुद्रता रज की नभ का मान,
स्वर्ग की छबि रौरव की छाँह,
शीत हिम की बाड़व का दाह?
और—यह विस्मय का संसार,
अखिल वैभव का राजकुमार,
धूलि में क्यों खिलकर नादान,
उसी में होता अन्तर्धान?
काल के प्याले में अभिनव,
ढाल जीवन का मधु आसव,
नाश के हिम अधरों से, मौन,
लगा देता है आकर कौन?
बिखर कर कन कन के लघुप्राण,
गुनगुनाते रहते यह तान,
“अमरता है जीवन का ह्रास,
मृत्यु जीवन का परम विकास”।
दूर है अपना लक्ष्य महान,
एक जीवन पग एक समान;
अलक्षित परिवर्तन की डोर,
खींचती हमें इष्ट की ओर।
छिपा कर उर में निकट प्रभात,
गहनतम होती पिछली रात;
सघन वारिद अम्बर से छूट,
सफल होते जल-कण में फूट।
स्निग्ध अपना जीवन कर क्षार,
दीप करता आलोक-प्रसार;
गला कर मृतपिण्डों में प्राण,
बीज करता असंख्य निर्माण।
सृष्टि का है यह अमिट विधान,
एक मिटने में सौ वरदान,
नष्ट कब अणु का हुआ प्रयास,
विफलता में है पूर्ति-विकास।

2.जीवन की एक जरूरी कविता | संतोष कुमार चतुर्वेदी

दुनिया की तमाम भाषाओं
दुनिया की तमाम बोलियों से इतर
हर भाषा और बोली में
प्रेम की
अपनी खुद की
एक अलग भाषा और बोली हुआ करती है

प्रेम के शब्दों के परंपरागत अर्थ
खोजे जाय अगर शब्दकोश में
तो मायने सुलझने की जगह
और उलझ सकते हैं
क्यों कि
इसका अपना
बिल्कुल अपना शब्दकोश है
निराले अंदाज वाला
अनदेखा
अनलिखा

मसलन
जब मेरी वह कहती है
नहीं चाहती मैं तुम्हें
तो दरअसल यह उसका
हमको और अधिक चाहना होता है
और जब मेरी वह कहती है
तुम्हें कुछ भी नहीं मालूम
कि तुम्हारे प्यार के लिए
मैं मर रही हूँ कितना
तो वास्तव में
यह उसका जीना होता है
भरपूर उछाह के साथ जीना
अपनी प्यार वाली दुनिया में

जब वह हमसे झगड़ती है बात बात पर
यह उसका और अधिक प्यार जताने का तरीका होता है
इसे और अधिक साफ करते हुए कहती है वह
जिससे प्यार करता है आदमी
उसी से तो झगड़ सकता है ना वह
राह चलते लोगों से कौन झगड़ता है भला

उसका यह कहना कितना ठीक है कितना बेठीक
इसके पचड़े में न पड़ कर मैं खुद
उसके खुले बालों में अपनी उँगलियाँ लहराते हुए
होठों को सीटी की शक्ल में ले जाकर
कोई रोमांटिक गीत गाते हुए
जब कहता हूँ मैं
कुछ भी अच्छा नहीं लगता अब मुझे
तो इसका मतलब यह होता है
कि प्यार में सब कुछ
यहाँ तक कि दुनिया की एक एक चीज
बेहद खूबसूरत लगने लगी है हमें
प्यार के इन बेहतरीन पलों में

प्यार की खुरदरी सी राह पर चलते हुए
किसी नौसिखिया की तरह

डगमगाते रहते हैं हमारे कदम
और तमाम बाधाओं से डरते भी रहते हैं हम
जबकि हकीकत में होता यह है
कि अपने भरपूर हौंसले से
प्यार करते हुए एक दूसरे को
चल रहे होते हैं हम
बढ रहे होते हैं हम
प्रतिपल
आगे… …और आगे
पूरी निडरता के साथ

जीवन के कण कण में
रहता हुआ
बहता हुआ
सतत जीवन की
अनवरत कहानी कहता हुआ प्यार
कहाँ कभी रीता
कहाँ कभी बीता
यह तो
जीवन के लिए
और जीवन की ही एक जरूरी कविता

अगर अनुवाद करना हो किसी को
हमारी सीधी सादी इन पंक्तियों का
तो कविता के गुणी के तरह का ही
हुनरमंद होना पड़ेगा उसे
जिसमें शब्दों को नहीं उतारा जाता
उनके परंपरागत शब्दकोशीय अर्थों वाले
कार्बनीय लहजे में
बल्कि जहाँ देनी पड़ती है
अक्षर दर अक्षर
शब्द दर शब्द
पंक्ति दर पंक्ति के बीच की
खाली जगहों के
भावों को भी तरजीह

3.उस दिन जब जीवन के पथ में | जयशंकर प्रसाद | Hindi Poems on life Inspiration


उस दिन जब जीवन के पथ में,
        छिन्न पात्र ले कम्पित कर में ,
        मधु-भिक्षा की रटन अधर में ,
        इस अनजाने निकट नगर में ,
        आ पँहुचा था एक अकिंचन .
उस दिन जब जीवन के पथ में,
        लोगों की आँखे ललचाईं ,
        स्वयं मानने को कुछ आईं ,
        मधु सरिता उफनी अकुलाई ,
        देने को अपना संचित धन .
उस दिन जब जीवन के पथ में,
        फूलों ने पंखुरियाँ खोलीं ,
        आँखें करने लगी ठिठोली ;
        हृदयों ने न सम्भाली झोली ,
        लुटने लगे विकल पगन मन .
उस दिन जब जीवन के पथ में,
        छिन्न पात्र में था भर आता –
        वह रस बरबस था न समाता;
        स्वयं चकित सा समझ न पाता
        कहाँ छिपा था ऐसा मधुवन !
उस दिन जब जीवन के पथ में,
        मधु-मंगल की वर्षा होती,
        काँटों ने भी पहना मोती
        जिसे बटोर रही थी रोती-
        आशा, समझ मिला अपना धन .

4.जीवन दीप | महादेवी वर्मा | Hindi Poems on Life Struggles by Famous Poets

किन उपकरणों का दीपक,
किसका जलता है तेल?
किसकि वर्त्ति, कौन करता
इसका ज्वाला से मेल?

शून्य काल के पुलिनों पर-
जाकर चुपके से मौन,
इसे बहा जाता लहरों में
वह रहस्यमय कौन?

कुहरे सा धुँधला भविष्य है,
है अतीत तम घोर ;
कौन बता देगा जाता यह
किस असीम की ओर?

पावस की निशि में जुगनू का-
ज्यों आलोक-प्रसार।
इस आभा में लगता तम का
और गहन विस्तार।

इन उत्ताल तरंगों पर सह-
झंझा के आघात,
जलना ही रहस्य है बुझना –
है नैसर्गिक बात !

5.जीवन खोजता आधार | हरिवंशराय बच्चन | happy life poem in hindi

जीवन खोजता आधार!

हाय, भीतर खोखला है,
बस मुलम्मे की कला है,
इसी कुंदन के ड़ले का नाम जग में प्यार!
जीवन खोजता आधार!

बूँद आँसू की गलाती,
आह छोटी-सी उड़ाती,
नींद-वंचित नेत्र को क्या स्वप्न का संसार!
जीवन खोजता आधार!

विश्व में वह एक ही है,
अन्य समता में नहीं हैं,
मूल्य से मिलता नहीं, वह मृत्यु का उपहार!
जीवन खोजता आधार!

6.बीत चला यह जीवन सब | किशन सरोज | hindi poem on life and death

बीत चला यह जीवन सब
प्रिय! न दो विश्वास अभिनव
मिल सको तो अब मिलो, अगले जनम की बात छोड़ो

भ्रान्त मन, भीगे नयन
बिखरे सुमन, यह सान्ध्य-बेला
शून्य में होता विलय
यह वन्दना का स्वर अकेला
फूल से यह गन्ध, देखो!
कह चली, `सम्बंध, देखो!
टूटकर जुड़ते नहीं फिर, मोह-भ्रम की बात छोड़ो! ‘

यह कुहासे का कफ़न
यह जागता-सोता अँधेरा
प्राण-तरू पर स्वप्न के
अभिशप्त विहगों का बसेरा
योँ न देखो प्रिय! इधर तुम,
एक ज्योँ तसवीर गुमसुम,
अनवरत, अन्धी प्रतीक्षा, के नियम की बात छोड़ो!

यह दिये की काँपती लौ,
और यह पागल पतँगा
दूर नभ के वक्ष पर
सहमी हुई आकाश-गंगा
एक-सी सबकी कथा है,
एक ही सबकी व्यथा है,
है सभी असहाय, मेरी या स्वयम् की बात छोड़ो!

हर घड़ी, हर एक पल है,
पीर दामनगीर कोई
शीश उठते ही खनकती
पाँव में जंज़ीर कोई
आज स्वर की शक्ति बन्दी,
साध की अभिव्यक्ति बन्दी,
थक गये मन-प्राण तक, मेरे अहम की बात छो

7.जीवन चुनौतियों से भरा है | कुमार मुकुल | poem on truth of life in hindi

ऑस्ट्रेलियाई ऑलराउंडर साइमन ओ डानेल कहता है
जीवन चुनौतियों से भरा है
यह मोर्चा हर हाल में जीत लेना है
साइमन लड़ाई जीत लेता है
पर मेरे दोस्तो तुम लड़ाई नहीं लड़ सकते साइमन मौत से कैंसर से लड़ा
जीवन के लिए नहीं लड़ ​​
सकते तुम
साइमन क्रिकेट के लिए मोहब्बत के लिए लड़ा
रोटी के लिए इज्जत के लिए नहीं लड़ सकते तुम
उठो मेरे दोस्तों
कि साइमन अकेला मौत को जीत लेता है
कि तुम सब मिलकर जिंदगी को जीत लोगे।

8.है हार नहीं यह जीवन में | हरिवंशराय बच्चन | hindi poem on zindagi

है हार नहीं यह जीवन में!

जिस जगह प्रबल हो तुम इतने,
हारे सब हैं मानव जितने,
उस जगह पराजित होने में है ग्लानि नहीं मेरे मन में!
है हार नहीं यह जीवन में!

मदिरा-मज्जित कर मन-काया,
जो चाहा तुमने कहलाया,
क्या जीता यदि जीता मुझको मेरी दुर्बलता के क्षण में!
है हार नहीं यह जीवन में!

सुख जहाँ विजित होने में है,
अपना सब कुछ खोने में है,
मैं हारा भी जीता ही हूँ जग के ऐसे समरांगण में!
है हार नहीं यह जीवन में!

9.एक जीवन जी गया मैं भी तुम्हारे साथ देखो | अमित |hindi poems on life by famous poets

एक जीवन जी गया मैं भी तुम्हारे साथ देखो
मुदित मन मधु पी गया मैं भी तुम्हारे साथ देखो

थीं बहुत सी वर्जनाएं, सजग करती सी कथाएं
किन्तु हर प्रतिबन्ध पर विजयी हुई थीं भावनाएं
लोक की उन रीतियों का, कुछ पुरातन नीतियों का
अतिक्रमण कर ही गया मैं भी तुम्हारे साथ देखो
एक जीवन जी गया…

जब असंगत संधियों में छिपा इक अनुताप सा है
हृदयपथ का अनुसरण फिर क्यों जगत में पाप सा है
किन्तु जग-संवेदना पर, दबा कर निज वेदना को
होंठ अपने सी गया मैं भी तुम्हारे साथ देखो
एक जीवन जी गया…

समय क्या कर भी सकेगा, हृदय के अनुबंध ढीले
गरल पीने की कथा, कहते रहेंगें कंठ नीले
किन्तु आकुल निलय से फिर, आस की लघु दीपिका में
जला इक बाती गया मैं भी तुम्हारे साथ देखो
एक जीवन जी गया…

10.जीवन गीत | रमेश क्षितिज | राजकुमार श्रेष्ठ | best hindi poetry lines

निकलो अश्कों का आइना देखना छोड़कर
कुचलते हुए खोशीदा पत्तों-सी उदासी की सुरंग से
ख़ुद ही के बनाए निराशा की अँधेरी
तारबार से निकलो और देखो
दूसरी और मिलेंगे – इन्द्रधनुषी स्वागतद्वार

डाली-डाली पर उछलते-नाचते परिन्दे
हज़ारों ठेस सहकर तहरीत होती मुसाफ़िर-सी नदी
जीत की जश्न में शामिल
अबीर से रंगित आशावादी जनता जैसे रंगीन फूल
फैलते जा रहे सपनों जैसी मुस्तफ़ा फ़लक
या लोगों की उम्मीदों-से झिलमिलाते अख्तर
तुम्हारे संग ही होंगी जीने लायक
इक पूरी और सुन्दर पृथ्वी

जिसे तुमने दुःख कहा
वो तो तेजाबी गहना
तुम्हारे मखमली अश्कों के तागों से बुना हुआ
जिसे तुमने चोट कहा वो तो प्यारा स्पर्श
किसी महान बुततराश ने बेहुदा बुत को

तराशकर मूर्ति बनाया हो जैसे
तुम्हारे जीवन को उभारने की इक बेजोड़ अनुभूति

वाकई एक बार जीना सीख लिया तो
फिर जितना ही काटो उतना ही बौराती हैं जीवन की कोपलें !

जिन दुःखों को दुःख कहती हो तुम
वो तो ख़ुद ही ने बोया पौधा – अपने ही मन के गमले में
बरामदे या सीढ़ी में
या दहलीज के पास आँगन के इक कौने में

ख़ुद ही ने उगाए दुःखों के कैक्टस
बढ़ते ही जाते हैं दिन-प्रतिदिन
और उसी में उलझकर लहूलुहान होते हैं हम अचानक
फिर कोसने लगते हैं पुराने दोस्त जैसे दुखों को बेकार ही
समाचारवाचिका की तरह मुस्कुराकर झेल लो दुःखों की खबर
मत दुखो – माँझकर रखो लेकिन वह पुरातात्विक दुःख

हर इक इमेल में आए तुम्हारे अश्कों के पारदर्शी तकाज़े
असह्य होते हैं मुझे !

मूल नेपाली भाषा से अनुवाद : राजकुमार श्रेष्ठ

11.जीवन का सुख | अंकिता जैन

जीवन का सुख
जो चाहा था यथार्थ में
भटक रहा है कल्पनाओं के बीच कहीं,

मन की चाह
जिसमें भरी थी सपनों की हवा
गुब्बारे सी फूट, लावारिश पड़ी है कहीं

दिल के अरमान
जो डोलते थे बॉल से
इस पाले से उस पाले में,
अटक गए हैं किसी नोंक पर कहीं,

और दिमागी सुकून
जिसका वास है शांति में
विचर रहा है, कोलाहल के बीच कहीं।

I hope you liked the best Life Poems in Hindi | जिंदगी पर कविताएँ | जीवन पर कवित. please share these Hindi Life Poems with your freinds.

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