Looking for the best Love Poems in Hindi? Then here we have the best Collection of Hindi Love Poems with Romantic Images.
We have collected the प्रेम कविताएँ which are too close to our heart and you can share these with your GirlFriend, BoyFriend, Husband and Wife to impress.
Best Love Poems in Hindi | प्यार पर कुछ कविताएँ | love Kavita in Hindi
- प्यार में | अरुणा राय | Love Poems in Hindi for Boyfriend
- ताजमहल की छाया में | अज्ञेय | Romantic Love Poems for Her in Hindi
- प्यार में कुछ भी नहीं छिपाना चाहिए | विमल कुमार |Heart Touching Love Poems in Hindi
- प्रेम की मूरत, प्रेम की सूरत, प्रेम ही ईश्वर, लक्ष्य हमारो | शिवदीन राम जोशी
- प्रेम क्या है? | विमल कुमार | Love Poetry in Hindi lyrics
- हे मेरी तुम! | केदारनाथ अग्रवाल | Love Poems in Hindi for the one you love
- हाँ जी, हम प्यार में हैं | अरुणा राय | Hindi Love Poems by Famous Poets
- बाजार में प्रेम | विमल कुमार | Sad Hindi Love Poems
- तुम | अनिल जनविजय | Romantic Love Poems in Hindi
- तुमने मुझे | शमशेर बहादुर सिंह | Love Poems for your Boyfriend from the heart in Hindi
- तुम्हारे चरण | धर्मवीर भारती | Love Poems in Hindi for Boyfriend
1.प्यार में | अरुणा राय | Love Poems in Hindi for Boyfriend
यार में
हम क्यों लड़ते हैं इतना
बच्चों-सा
जबकि बचपना
छोड आए कितना पीछेअक्सर मैं
छेड़ती हूँ उसे
कि जाए बतियाए अपनी लालपरी से
और झल्लाता-सा
चीख़ता है वह– कपार…
फिर पूछती हूँ मैं
यह कपार क्या हुआ, जानेमन
तो हँसता है वह-
कुछ नहीं… मेरा सर…फिर बोलता है वह–
और तुम्हारे जो इतने चंपू हैं और
तुम्हारा वह दंतचिपोर…
ओह शिट… यह चिपोर क्या हुआ…
नहीं, मेरा मतलब
हँसमुख था
जो मुँह लटकाए पड़ा रहता है
दर पर तेरे…हा हा हा
छोड़िए बेचारे को
कितना सीधा है वह
आपकी तरह तंग तो नहीं करता
बात-बेबातऔर आपकी वह सहेली
कैसी है
पूछता है वह… कौन
अरे वही जो हमेशा अपना झखुरा
फैलाए रहती है
व्हाट झखुरा… झल्लाता है वह
अरे वही
बाले तेरे बालजाल में कैसे उलझा दूँ लोचन… वाला
मतलब जुल्फों वाली आपकी सुनयनाअरे
अच्छी तो है वह कितनी
उसी दिन बेले की कलियाँ सजा रखी थींतो… तो उसी के पास क्यों नहीं चले जाते
अरे!
वहीं से तो चला आ रहा हूँ… हा हा हा
देखो मेरी आँखों में उसकी ख़ुशबू
दिख नहीं रही…झपटती हूँ मैं
और वार बचाता वह
संभाल लेता है मुझे
और मेरा सिर सूंघता
कहता है– ऐसी ही तो ख़ुशबू थी उसके बालों की भी
… हा हा हा…
2.ताजमहल की छाया में | अज्ञेय | Romantic Love Poems for Her in Hindi

मुझ में यह सामर्थ्य नहीं है मैं कविता कर पाऊँ,
या कूँची में रंगों ही का स्वर्ण-वितान बनाऊँ ।
साधन इतने नहीं कि पत्थर के प्रासाद खड़े कर-
तेरा, अपना और प्यार का नाम अमर कर जाऊँ।पर वह क्या कम कवि है जो कविता में तन्मय होवे
या रंगों की रंगीनी में कटु जग-जीवन खोवे ?
हो अत्यन्त निमग्न, एकरस, प्रणय देख औरों का-
औरों के ही चरण-चिह्न पावन आँसू से धोवे?हम-तुम आज खड़े हैं जो कन्धे से कन्धा मिलाये,
देख रहे हैं दीर्घ युगों से अथक पाँव फैलाये
व्याकुल आत्म-निवेदन-सा यह दिव्य कल्पना-पक्षी:
क्यों न हमारा ह्र्दय आज गौरव से उमड़ा आये!मैं निर्धन हूँ,साधनहीन ; न तुम ही हो महारानी,
पर साधन क्या? व्यक्ति साधना ही से होता दानी!
जिस क्षण हम यह देख सामनें स्मारक अमर प्रणय का
प्लावित हुए, वही क्षण तो है अपनी अमर कहानी !
3.प्यार में कुछ भी नहीं छिपाना चाहिए | विमल कुमार |Heart Touching Love Poems in Hindi
जब कोई आदमी
करता है किसी से
सच्चा प्यार
तो सब कुछ बताना चाहता हैआसमान का रंग
इस समय कैसा है
कैसी हो रही है बारिश
अचानक उसके शहर में
कितनी उल्लसित हैं तरंगें
समुद्र में
कितना-कितना गर्जन
कितनी गहरी है रात
कितनी उदासी
वह अपनी हर ख़ुशी
बताना चाहता है
जब उड़ी आसमान पर पतंगें उसकी
तो वह इस ख़ुशी को फ़ौरन
एक संदेश की तरह चाहता है भेजना
यहाँ तक कि उसके घर के सामने
तार पर बैठी हो कोई चिड़िया
तो वह भी बताना चाहता है
चाहता है यह भी बताना
आज उसके आँगन में एक फूल खिला है
धूप निकली है बहुत दिनों के बाद
पार्क मेंहालाँकि कुछ लोग यह भी
कहते हैं इसमें बताना क्या है
क्या नहीं है उसे मालूम
पर जब आदमी करता है
किसी से सच्चा प्यार
तो आटे दाल और
सब्ज़ियों के दाम भी
चाहता है बताना
किस तरह बढ़ गई है महंगाई
और प्याज के भाव
चढ़ गए आसमान परउफ! यह ट्रैफ़िक जाम
किस तरह झर रहा है पलस्तर
दीवार पर चल रही है
एक छिपकली
किस तरह जर्जर हो गया है
यह मकान
बढ़ गया है कितना
किराया
और स्कूल की फ़ीसवह खाने के स्वाद
पानी का रंग
मिट्टी की सोंधी सोंधी खुशबू
भी बताना चाहता है
अपने समय की राजनीति
और दुष्चक्र तो ज़रूर ही
झूठ और सच के भेद को भी
फ़रेब को भी
बताना चाहता हैबताना चाहता है
कोई गाना
किस तरह उसके दिल को छू गया एक दिन
पर यह भी बताना चाहता है
नौकरी करता किस तरह घुट-घुटकर
इन दिनों
और नहीं मिल पा रही
समय पर
तनख़्वाह….वह यह भी बताना चाहता है
उसके मन में है
किस तरह की है गुत्थियाँ
किस तरह की उलझनें
किस तरह से विचलन-आकर्षण
वह अपनी कमज़ोरी या कमी को बताए
बताए अपने लालच
यह घृणा को
तो समझिए
वाकई वह प्यार करता है
आपसे सच्चाअगर वह आदमी
नहीं बताना चाहता है
तो समझो वह कुछ
छिपा रहा है
सच्चा प्यार
करना है
तो किसी को
अपने पुण्य और पाप भी बताने चाहिएप्यार में कुछ भी नहीं छिपाना चाहिए
अगर वह किसी और से प्यार करने लगा है
तो यह बात उसे सबसे पहले बतानी चाहिए
जितना पारदर्शी होगा प्यार
उतना ही होगा वह
मज़बूत
और तूफ़ान में भी वह टिकेगा
हरदमकोई ताक़त
नहीं हिला सकती उसे ।
4.प्रेम की मूरत, प्रेम की सूरत, प्रेम ही ईश्वर, लक्ष्य हमारो | शिवदीन राम जोशी

प्रेम की मूरत, प्रेम की सूरत, प्रेम ही ईश्वर, लक्ष्य हमारो,
प्रेम के संग व प्रेम उमंग से प्रेम की गंग में स्नान संवारो।
प्रेम का हार व प्रेम शृंगार से, प्रेम की पूजन और चितारो,
प्रेम प्रभु से रच्यो शिवदीन, सदा दिल में यह प्रेम विचारो।
5.प्रेम क्या है? | विमल कुमार | Love Poetry in Hindi lyrics
प्रेम
दूसरे को जानना भी है
ख़ुद को पहचानना भी है
ग़लत को ग़लत
सही को सही
मानना भी है
प्रेम गुसलख़ाने में
गाना भी है
नहाना भी है
किसी को अपने घर
खाने पर बुलाना भी है
किसी का दुख-दर्द सुनना
और अपना बताना भी है
प्रेम
अपना हाथ देकर
किसी को उठाना भी है
काँटे हमें कहीं
तो उसे निकालना भी है
पत्थर है कोई रास्ते में
तो उसे हटाना भी है ।प्रेम
अगर मान-मनौव्वल है
तो कुछ
उलाहना भी है ।प्रेम
ज़िन्दगी भर का हिसाब है
जोड़कर
उसमें कुछ घटाना भी है ।
प्रेम जितना जताना भी है
उतना छिपाना भी है ।
प्रेम में आँसू बहाना भी है
मुस्कराना भी है ।
6.हे मेरी तुम! | केदारनाथ अग्रवाल | love Kavita in Hindi

हे मेरी तुम!
आज धूप जैसी हो आई
और दुपट्टा
उसने मेरी छत पर रक्खा
मैंने समझा तुम आई हो
दौड़ा मैं तुमसे मिलने को
लेकिन मैंने तुम्हें न देखा
बार-बार आँखों से खोजा
वही दुपट्टा मैंने देखा
अपनी छत के ऊपर रक्खा।
मैं हताश हूँ
पत्र भेजता हूँ, तुम उत्तर जल्दी देना:
बतलाओ क्यों तुम आई थीं मुझ से मिलने
आज सवेरे,
और दुपट्टा रख कर अपना
चली गई हो बिना मिले ही?
क्यों?
आख़िर इसका क्या कारण?
7.हाँ जी, हम प्यार में हैं | अरुणा राय | Hindi Love Poems by Famous Poets
हाँ जी, इन दिनों हम
प्यार
में हैं
अब यह मत पूछिएगा कि
किसके
हवाओं के चाँदनी के या
रेत के
बस प्यार है और हम
लिखते चल
रहे हैं कोई नाम
जहाँ-तहाँ और उसके आजू
बाजू
लिख दे रहे हैं पवित्र
मासूम निर्दोष
और यह सोचते हैं कि ये
उसे ज़ाहिर कर देंगे या
ढक लेंगे
आजकल कभी भी खटखटा देते
हैं
एक दूसरे का हृदय
और हड़बड़ाए से कह
बैठते हैं
लगता है बेवक़्त आ गए
और ऐसा कहते हुए समाते
चले
जाते हैं
एक दूसरे के भीतरफिर अचानक ख़ुद को
समेटते
चल देते हैं झटके से
कि फिर बात करते हैं
कि एक पूछता है
अरे, आपका कुछ छूटा जा
रहा है यहाँ
कोई दिल-विल-सा तो
नहींनहीं वह आपका ही है
मेरे तो किसी काम का
नहींऐसा कहता मन मसोसता
झटके से छुपा लेता है
उसे मनकभी यूँ ही बज उठता है
मोबाइल
पता चलता है ग़लती से दब
गया
था नंबर
कि घंटी बजती है दिमाग
की
वह लगता है चीख़ने
संभलो दिल दिल दिल
कि हत्था मार बंद करता
उसका हंगामा…
8.बाजार में प्रेम | विमल कुमार | Sad Hindi Love Poems
अगर मिल जाता मुझे
कहीं और निर्मल प्रेम
तो फिर क्यों आता तुम्हारे द्वार
क्यों खटखटाता तुम्हारी किवाड़
क्यों फैलाता अपनी झोली दरगाह पर
फ़कीरों-सा
आसमान की तरफ अपना मुँह
करता याचना
गिड़गिड़ाता ।
अगर मिल जाती मुझे वह रोशनी
जो तुम्हारे लालटेन से छनकर आ रही है
क्यों ढूँढ़ता अपने लिए मैं वह प्रकाश
नहीं देखता तुम्हारे दर्पण में
अपना चेहरा
अगर मैं देख लेता अँजुरी भर पानी में
अपना मुखड़ा किसी दिन
तुम्हारी आवाज में नहीं खोजता
मैं अपनी कोई आवाज़
तुम्हारे सितार पर नहीं बजाता
अपना कोई राग
तुम्हारी बाँसुरी मैं क्यों फूँकता अपनी हवा
क्यों तुम्हारी डायरी में
चाहता दर्ज़ करना अपना बयान ।
तुम्हारे दर्द में अपना दर्द
तुम्हारे सुख में अपना सुख
ढूँढ़ने की ज़रूरत ही नहीं पड़ती मुझे ।
जानता हूँ अब असली चीज़ें नहीं मिलती बाज़ार में
चाँदनी चौक से करोलबाग तक
नकली चीज़ों से अंटी पड़ी हैं दुकानें
नकली लोग
नकली दोस्ती
नकली आत्मीयता
और यह प्रेम भी
निकला अगर नकली !
तो होगी कितनी तकलीफ़ मुझेइसलिए आया हूँ
आज फिर वर्षों बाद तुम्हारे द्वार
मिल जाए कहीं
कोई प्यार
जिसे मैं कह सकूँ
तमाम नकली चीज़ों के बीच
यही असली चीज़
जिसे मैं ढूँढ़ता फिर रहा था
वर्षों अपने जीवन में
न जाने कहाँ-कहाँ
भटकता ।
9.तुम | अनिल जनविजय | Romantic Love Poems in Hindi

तुम इतनी क्रूर होंगी
जानता न था
आक्रोश से भरपूर होंगी
मन मानता कहाँ था
मुझे देख
गर्दन घुमाकर चला गईं तुम
कपाट पर
साँकल चढ़ाकर चली गईं तुमऔर मैं चकित खड़ा था
तुम्हारे दरवाज़े पर
अवशिष्ट-सा थकित पड़ा था
तुम्हारे दरवाज़े पर
10.तुमने मुझे | शमशेर बहादुर सिंह | Love Poems for your Boyfriend from the heart in Hindi

तुमने मुझे और गूँगा बना दिया
एक ही सुनहरी आभा-सी
सब चीज़ों पर छा गईमै और भी अकेला हो गया
तुम्हारे साथ गहरे उतरने के बाद
मैं एक ग़ार से निकला
अकेला, खोया हुआ और गूँगाअपनी भाषा तो भूल ही गया जैसे
चारों तरफ़ की भाषा ऐसी हो गई
जैसे पेड़ पौधों की होती है
नदियों में लहरों की होती हैहज़रत आदम के यौवन का बचपना
हज़रत हौवा की युवा मासूमियत
कैसी भी! कैसी भी!ऐसा लगता है जैसे
तुम चारों तरफ़ से मुझसे लिपटी हुई हो
मैं तुम्हारे व्यक्तित्व के मुख में
आनंद का स्थायी ग्रास… हूँ मूक।
11.तुम्हारे चरण | धर्मवीर भारती | Love Poems in Hindi for Boyfriend
ये शरद के चाँद-से उजले धुले-से पाँव,
मेरी गोद में !
ये लहर पर नाचते ताज़े कमल की छाँव,
मेरी गोद में !
दो बड़े मासूम बादल, देवताओं से लगाते दाँव,
मेरी गोद में !रसमसाती धूप का ढलता पहर,
ये हवाएँ शाम की, झुक-झूमकर बरसा गईं
रोशनी के फूल हरसिंगार-से,
प्यार घायल साँप-सा लेता लहर,
अर्चना की धूप-सी तुम गोद में लहरा गईं
ज्यों झरे केसर तितलियों के परों की मार से,
सोनजूही की पँखुरियों से गुँथे, ये दो मदन के बान,
मेरी गोद में !
हो गये बेहोश दो नाजुक, मृदुल तूफ़ान,
मेरी गोद में !ज्यों प्रणय की लोरियों की बाँह में,
झिलमिलाकर औ’ जलाकर तन, शमाएँ दो,
अब शलभ की गोद में आराम से सोयी हुईं
या फ़रिश्तों के परों की छाँह में
दुबकी हुई, सहमी हुई, हों पूर्णिमाएँ दो,
देवताओं के नयन के अश्रु से धोई हुईं ।
चुम्बनों की पाँखुरी के दो जवान गुलाब,
मेरी गोद में !
सात रंगों की महावर से रचे महताब,
मेरी गोद में !ये बड़े सुकुमार, इनसे प्यार क्या ?
ये महज आराधना के वास्ते,
जिस तरह भटकी सुबह को रास्ते
हरदम बताये हैं रुपहरे शुक्र के नभ-फूल ने,
ये चरण मुझको न दें अपनी दिशाएँ भूलने !
ये खँडहरों में सिसकते, स्वर्ग के दो गान, मेरी गोद में !
रश्मि-पंखों पर अभी उतरे हुए वरदान, मेरी गोद में !
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