Top 10+ Poems on Holi in Hindi | होली पर कविताएँ

Author:

Published:

Updated:

Last Updated on August 8, 2023

Looking for some of the best Holi Poems|होली पर कविताएँ on this Holi Festival? Then here we have collected the best Poems on Holi in Hindi. These famous Hindi Holi Poems are Written by Famous Hindi Poets.

Holi Poems In Hindi होली पर कविताएँ

If you liked these Holi Poems होली पर कविताएँ then please share.

  1. केशर की कलि की पिचकारी | सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला”
  2. ख़ून की होली जो खेली | सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला”
  3. खेलूँगी कभी न होली | सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला”
  4. तुम अपने रँग में रँग लो तो होली है | हरिवंशराय बच्चन
  5. फागुन के दिन चार होली खेल मना रे | मीराबाई
  6. होली | हरिवंशराय बच्चन
  7. होली के दिन दिल खिल जाते हैं | आनंद बख़्शी
  8. होली पिचकारी | नज़ीर अकबराबादी
  9. समझ लेना कि होली है | नीरज गोस्वामी
  10. होरी खेलत हैं गिरधारी | मीराबाई

1.केशर की कलि की पिचकारी | सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला” | होली पर साहित्यिक कविता

केशर की, कलि की पिचकारीः
पात-पात की गात सँवारी ।

राग-पराग-कपोल किए हैं,
लाल-गुलाल अमोल लिए हैं
तरू-तरू के तन खोल दिए हैं,
आरती जोत-उदोत उतारी-
गन्ध-पवन की धूप धवारी ।

गाए खग-कुल-कण्ठ गीत शत,
संग मृदंग तरंग-तीर-हत
भजन-मनोरंजन-रत अविरत,
राग-राग को फलित किया री-
विकल-अंग कल गगन विहारी ।

2.ख़ून की होली जो खेली | सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला”

युवकजनों की है जान ;
   ख़ून की होली जो खेली ।
पाया है लोगों में मान,
   ख़ून की होली जो खेली ।

रँग गये जैसे पलाश;
   कुसुम किंशुक के, सुहाए,
कोकनद के पाए प्राण,
    ख़ून की होली जो खेली ।

निकले क्या कोंपल लाल,
     फाग की आग लगी है,
फागुन की टेढ़ी तान,
     ख़ून की होली जो खेली ।

खुल गई गीतों की रात,
      किरन उतरी है प्रात की ;-
हाथ कुसुम-वरदान,
   ख़ून की होली जो खेली ।

आई सुवेश बहार,
   आम-लीची की मंजरी;
कटहल की अरघान,
    ख़ून की होली जो खेली ।

विकच हुए कचनार,
    हार पड़े अमलतास के ;
पाटल-होठों मुसकान,
    ख़ून की होली जो खेली ।

3.खेलूँगी कभी न होली | सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला” | होली पर प्रसिद्ध कविता

खेलूँगी कभी न होली
उससे जो नहीं हमजोली ।

यह आँख नहीं कुछ बोली,
यह हुई श्याम की तोली,
ऐसी भी रही ठठोली,
गाढ़े रेशम की चोली-

अपने से अपनी धो लो,
अपना घूँघट तुम खोलो,
अपनी ही बातें बोलो,
मैं बसी पराई टोली ।

जिनसे होगा कुछ नाता,
उनसे रह लेगा माथा,
उनसे हैं जोडूँ-जाता,
मैं मोल दूसरे मोली

4.तुम अपने रँग में रँग लो तो होली है | हरिवंशराय बच्चन

तुम अपने रँग में रँग लो तो होली है।
देखी मैंने बहुत दिनों तक
दुनिया की रंगीनी,
किंतु रही कोरी की कोरी
मेरी चादर झीनी,
तन के तार छूए बहुतों ने
मन का तार न भीगा,
तुम अपने रँग में रँग लो तो होली है।
अंबर ने ओढ़ी है तन पर
चादर नीली-नीली,
हरित धरित्री के आँगन में
सरसों पीली-पीली,
सिंदूरी मंजरियों से है
अंबा शीश सजाए,
रोलीमय संध्या ऊषा की चोली है।
तुम अपने रँग में रँग लो तो होली है।

5.फागुन के दिन चार होली खेल मना रे | मीराबाई

राग होरी सिन्दूरा

फागुन के दिन चार होली खेल मना रे॥

बिन करताल पखावज बाजै अणहदकी झणकार रे।
बिन सुर राग छतीसूं गावै रोम रोम रणकार रे॥

सील संतोखकी केसर घोली प्रेम प्रीत पिचकार रे।
उड़त गुलाल लाल भयो अंबर, बरसत रंग अपार रे॥

घटके सब पट खोल दिये हैं लोकलाज सब डार रे।
मीराके प्रभु गिरधर नागर चरणकंवल बलिहार रे॥

6.होली | हरिवंशराय बच्चन

यह मिट्टी की चतुराई है,
रूप अलग औ’ रंग अलग,
भाव, विचार, तरंग अलग हैं,
ढाल अलग है ढंग अलग,

आजादी है जिसको चाहो आज उसे वर लो।
होली है तो आज अपरिचित से परिचय कर को!

निकट हुए तो बनो निकटतर
और निकटतम भी जाओ,
रूढ़ि-रीति के और नीति के
शासन से मत घबराओ,

आज नहीं बरजेगा कोई, मनचाही कर लो।
होली है तो आज मित्र को पलकों में धर लो!

प्रेम चिरंतन मूल जगत का,
वैर-घृणा भूलें क्षण की,
भूल-चूक लेनी-देनी में
सदा सफलता जीवन की,

जो हो गया बिराना उसको फिर अपना कर लो।
होली है तो आज शत्रु को बाहों में भर लो!

होली है तो आज अपरिचित से परिचय कर लो,
होली है तो आज मित्र को पलकों में धर लो,
भूल शूल से भरे वर्ष के वैर-विरोधों को,
होली है तो आज शत्रु को बाहों में भर लो!

7.होली के दिन दिल खिल जाते हैं | आनंद बख़्शी

चलो सहेली, चलो रे साथी, ओ पकड़ो-पकड़ो
रे इसे न छोड़ो, अरे बैंया न मोड़ो
ज़रा ठहर जा भाभी, जा रे सराबी
क्या ओ राजा, गली में आजा
होली रे होली, भांग की गोली
ओ नखरे वाली, दूँगी मैं गाली
ओ रामू की साली, होली रे होली

होली के दिन दिल खिल जाते हैं रंगों में रंग मिल जाते हैं
गिले शिक़वे भूल के दोस्तो दुश्मन भी गले मिल जाते हैं

गोरी तेरे रंग जैसा थोड़ा सा रंग मिला लूँ
आ तेरे गुलाबी गालों से थोड़ा सा गुलाल चुरा लूँ
जा रे जा दीवाने तू होली के बहाने तू छेड़ न मुझे बेशरम
पूछ ले ज़माने से ऐसे ही बहाने से लिए और दिए दिल जाते हैं
होली के दिन दिल …

यही तेरी मरज़ी है तो अच्छा तू ख़ुश हो ले
पास आ के छूना ना मुझे चाहे दूर से भिगो ले
हीरे की कनी है तू मोती की बनी है तू छूने से टूट जाएगी
काँटों के छूने से फूलों से नाज़ुक-नाज़ुक बदन छिल जाते हैं
होली के दिन दिल …

8.होली पिचकारी | नज़ीर अकबराबादी |
होली बधाई कविता

हां इधर को भी ऐ गुंचादहन पिचकारी।
देखें कैसी है तेरी रंगविरंग पिचकारी।।

तेरी पिचकारी की तकदीद में ऐ गुल हर सुबह।
साथ ले निकले हैं सूरज की किरन पिचकारी।।

जिस पे हो रंग फिशां उसको बना देती है।
सर से ले पांव तलक रश्के चमन पिचकारी।।

बात कुछ बस की नहीं वर्ना तेरे हाथों में।
अभी आ बैठें यहीं बनकर हमतंग पिचकारी।।

हो न हो दिल ही किसी आशिके शैदा का नजीर।
पहुंचा है हाथ में उसके बनकर पिचकारी।।

9.समझ लेना कि होली है | नीरज गोस्वामी

करें जब पाँव खुद नर्तन, समझ लेना कि होली है
हिलोरें ले रहा हो मन, समझ लेना कि होली है

इमारत इक पुरानी सी, रुके बरसों से पानी सी
लगे बीवी वही नूतन, समझ लेना कि होली है

कभी खोलो हुलस कर, आप अपने घर का दरवाजा
खड़े देहरी पे हों साजन, समझ लेना कि होली है

तरसती जिसके हों दीदार तक को आपकी आंखें
उसे छूने का आये क्षण, समझ लेना कि होली है

हमारी ज़िन्दगी यूँ तो है इक काँटों भरा जंगल
अगर लगने लगे मधुबन, समझ लेना कि होली है

बुलाये जब तुझे वो गीत गा कर ताल पर ढफ की
जिसे माना किये दुश्मन, समझ लेना कि होली है

अगर महसूस हो तुमको, कभी जब सांस लो ‘नीरज’
हवाओं में घुला चन्दन, समझ लेना कि होली है

10.होरी खेलत हैं गिरधारी | मीराबाई

होरी खेलत हैं गिरधारी।
मुरली चंग बजत डफ न्यारो।
संग जुबती ब्रजनारी।।
चंदन केसर छिड़कत मोहन
अपने हाथ बिहारी।
भरि भरि मूठ गुलाल लाल संग
स्यामा प्राण पियारी।
गावत चार धमार राग तहं
दै दै कल करतारी।।
फाग जु खेलत रसिक सांवरो
बाढ्यौ रस ब्रज भारी।
मीरा कूं प्रभु गिरधर मिलिया
मोहनलाल बिहारी।।

I hope you enjoyed these Hindi Holi Poems, Please share these होली पर कविताएँ|Poems on Holi In Hindi with your freinds.

Chcek Other Poems:

About the author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest Posts