Looking for the best Tulsidas Poems in Hindi? Then here we have the best Hindi Poems Written by Tulsidas | तुलसीदास जी के कविताएं.
Here we have collected the best तुलसीदास जी के कविताएं which are really meaningful, so read it carefully and share these Tulsidas Poems in Hindi.
Best Tulsidas Poems in Hindi | तुलसीदास जी के प्रसिद्ध कविताएं
- केशव,कहि न जाइ | विनय पत्रिका | तुलसीदास
- सुन मन मूढ | विनय पत्रिका | तुलसीदास | Famous Poems of Tulsidas in Hindi
- हरि! तुम बहुत अनुग्रह किन्हों | तुलसीदास | Tulsidas Poems in Hindi with Meaning
- माधव, मोह-पास क्यों छूटै | तुलसीदास | Famous Poems of Tulsidas in Hindi
- हे हरि! कवन जतन भ्रम भागै | तुलसीदास
- यह बिनती रहुबीर गुसाईं | तुलसीदास
- मैं हरि, पतित पावन सुने | तुलसीदास
- माधव! मो समान जग माहीं | तुलसीदास | Goswami Tulsidas Poems in Hindi
- भज मन रामचरन सुखदाई | तुलसीदास | Saint Tulsidas Poems
- ममता तू न गई मेरे मन तें | तुलसीदास | Tulsidas Poems in Hindi Two Lines
केशव,कहि न जाइ | विनय पत्रिका | तुलसीदास
केशव , कहि न जाइ का कहिये ।
देखत तव रचना विचित्र अति ,समुझि मनहिमन रहिये ।
शून्य भीति पर चित्र ,रंग नहि तनु बिनु लिखा चितेरे ।
धोये मिटे न मरै भीति, दुख पाइय इति तनु हेरे।
रविकर नीर बसै अति दारुन ,मकर रुप तेहि माहीं ।
बदन हीन सो ग्रसै चराचर ,पान करन जे जाहीं ।
कोउ कह सत्य ,झूठ कहे कोउ जुगल प्रबल कोउ मानै ।
तुलसीदास परिहरै तीनि भ्रम , सो आपुन पहिचानै ।
सुन मन मूढ | विनय पत्रिका | तुलसीदास | Famous Poems of Tulsidas in Hindi
सुन मन मूढ सिखावन मेरो।
हरिपद विमुख लह्यो न काहू सुख,सठ समुझ सबेरो॥
बिछुरे ससि रबि मन नैननि तें,पावत दुख बहुतेरो।
भ्रमर स्यमित निसि दिवस गगन मँह,तहँ रिपु राहु बडेरो॥
जद्यपि अति पुनीत सुरसरिता,तिहुँ पुर सुजस घनेरो।
तजे चरन अजहूँ न मिट नित,बहिबो ताहू केरो॥
छूटै न बिपति भजे बिन रघुपति ,स्त्रुति सन्देहु निबेरो।
तुलसीदास सब आस छाँडि करि,होहु राम कर चेरो॥
हरि! तुम बहुत अनुग्रह किन्हों | तुलसीदास | Tulsidas Poems in Hindi with Meaning
हरि! तुम बहुत अनुग्रह किन्हों।
साधन-नाम बिबुध दुरलभ तनु, मोहि कृपा करि दीन्हों॥१॥
कोटिहुँ मुख कहि जात न प्रभुके, एक एक उपकार।
तदपि नाथ कछु और माँगिहौं, दीजै परम उदार॥२॥
बिषय-बारि मन-मीन भिन्न नहिं होत कबहुँ पल एक।
ताते सहौं बिपति अति दारुन, जनमत जोनि अनेक॥३॥
कृपा डोरि बनसी पद अंकुस, परम प्रेम-मृदु चारो।
एहि बिधि बेगि हरहु मेरो दुख कौतुक राम तिहारो॥४॥
हैं स्त्रुति बिदित उपाय सकल सुर, केहि केहि दीन निहोरै।
तुलसीदास यहि जीव मोह रजु, जोइ बाँध्यो सोइ छोरै॥५॥
माधव, मोह-पास क्यों छूटै | तुलसीदास | Famous Poems of Tulsidas in Hindi
माधव, मोह-पास क्यों छूटै।
बाहर कोट उपाय करिय अभ्यंतर ग्रन्थि न छूटै॥१॥
घृतपूरन कराह अंतरगत ससि प्रतिबिम्ब दिखावै।
ईंधन अनल लगाय कल्पसत औंटत नास न पावै व२॥
तरु-कोटर मँह बस बिहंग तरु काटे मरै न जैसे।
साधन करिय बिचारहीन मन, सुद्ध होइ नहिं तैसे॥३॥
अंतर मलिन, बिषय मन अति, तन पावन करिय पखारे।
मरै न उरक अनेक जतन बलमीकि बिबिध बिधि मारे॥४॥
तुलसीदास हरि गुरु करुना बिनु बिमल बिबेक न होई।
बिनु बिबेक संसार-घोरनिधि पार न पावै कोई॥५॥
- Poems on Rain in Hindi | वर्षा ऋतु पर कविताएँ
- प्रेरणादायक हिन्दी कविताएँ | Motivational Poems In Hindi
हे हरि! कवन जतन भ्रम भागै | तुलसीदास
हे हरि! कवन जतन भ्रम भागै।
देखत, सुनत, बिचारत यह मन, निज सुभाउ नहिं त्यागै॥१॥
भक्ति, ज्ञान वैराग्य सकल साधन यहि लागि उपाई।
कोउ भल कहौ देउ कछु कोउ असि बासना ह्रदयते न जाई॥२॥
जेहि निसि सकल जीव सूतहिं तव कृपापात्र जन जागै।
निज करनी बिपरीत देखि मोहि, समुझि महाभय लागै॥३॥
जद्यपि भग्न मनोरथ बिधिबस सुख इच्छित दुख पावै।
चित्रकार कर हीन जथा स्वारथ बिनु चित्र बनावै॥४॥
ह्रषीकेस सुनि नाम जाउँ बलि अति भरोस जिय मोरे।
तुलसीदास इन्द्रिय सम्भव दुख, हरे बनहि प्रभु तोरे॥५॥
- महादेवी वर्मा कविताएँ | Mahadevi Verma Poems in Hindi
- Sohanlal Dwivedi Poems | सोहनलाल द्विवेदी कविताएं
यह बिनती रहुबीर गुसाईं | तुलसीदास
यह बिनती रहुबीर गुसाईं।
और आस बिस्वास भरोसो, हरौ जीव-जड़ताई॥१॥
चहौं न सुगति, सुमति-संपति कछु रिधि सिधि बिपुल बड़ाई।
हेतु-रहित अनुराग रामपद, बढ़ अनुदिन अधिकाई॥२॥
कुटिल करम लै जाइ मोहि, जहॅं-जहॅं अपनी बरियाई।
तहॅं-तहॅं जनि छिन छोह छाँड़िये, कमठ-अण्डकी नाई॥३॥
यहि जगमें, जहॅं लगि या तनुकी, प्रीति प्रतीति सगाई।
ते सब तुलसिदास प्रभु ही सों, होहिं सिमिति इक ठाई॥४॥
मैं हरि, पतित पावन सुने | तुलसीदास
मैं हरि, पतित पावन सुने।
मैं पतित, तुम पतित-पावन, दोउ बानक बने॥
ब्याध गनिक अगज अजामिल, साखि निगमनि भने।
और अधम अनेक तारे, जात कापै गने॥
जानि नाम अजानि लीन्हें नरक जमपुर मने।
दास तुलसी सरन आयो राखिये अपने॥
- Hindi Poems on Nature | प्रकृति पर कविताएँ| प्रकृति पर हिंदी बाल कविताएँ
- सुभद्राकुमारी चौहान कविताएं | Subhadra Kumari Chauhan Poems in Hindi
माधव! मो समान जग माहीं | तुलसीदास | Goswami Tulsidas Poems in Hindi
माधव! मो समान जग माहीं।
सब बिधि हीन मलीन दीन अति बिषय कोउ नाहीं॥१॥
तुम सम हेतु रहित, कृपालु, आरतहित ईसहि त्यागी।
मैं दुखसोक बिकल, कृपालु केहि कारन दया न लागी॥२॥
नाहिन कछु अवगुन तुम्हार, अपराध मोर मैं माना।
ग्यान भवन तनु दियहु नाथ सोउ पा न मैं प्रभु जाना॥३॥
बेनु करील, श्रीखण्ड बसंतहि दूषन मृषा लगावै।
साररहित हतभाग्य सुरभि पल्लव सो कहँ कहु पावै॥४॥
सब प्रकार मैं कठिन मृदुल हरि दृढ़ बिचार जिय मोरे।
तुलसीदास प्रभु मोह सृंखला छुटिहि तुम्हारे छोरे॥५॥
- देशभक्ति पर कविताएँ Patriotic Poems in Hindi | Desh Bhakti Kavita Sangrah
- Harivansh Rai Bachchan Poems | हरिवशं राय बच्चन की कविताएँ | Agneepath Poem
भज मन रामचरन सुखदाई | तुलसीदास | Saint Tulsidas Poems
भज मन रामचरन सुखदाई॥ध्रु०॥
जिहि चरननसे निकसी सुरसरि संकर जटा समाई।
जटासंकरी नाम परयो है, त्रिभुवन तारन आई॥
जिन चरननकी चरनपादुका भरत रह्यो लव लाई।
सोइ चरन केवट धोइ लीने तब हरि नाव चलाई॥
सोइ चरन संत जन सेवत सदा रहत सुखदाई।
सोइ चरन गौतमऋषि-नारी परसि परमपद पाई॥
दंडकबन प्रभु पावन कीन्हो ऋषियन त्रास मिटाई।
सोई प्रभु त्रिलोकके स्वामी कनक मृगा सँग धाई॥
कपि सुग्रीव बंधु भय-ब्याकुल तिन जय छत्र फिराई।
रिपु को अनुज बिभीषन निसिचर परसत लंका पाई॥
सिव सनकादिक अरु ब्रह्मादिक सेष सहस मुख गाई।
तुलसीदास मारुत-सुतकी प्रभु निज मुख करत बड़ाई॥
- Atal Bihari Vajpayee Poems | अटल बिहारी वाजपेयी कविताएँ
- Suryakant Tripathi “Nirala” Poems In Hindi|सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला कविताये
ममता तू न गई मेरे मन तें | तुलसीदास | Tulsidas Poems in Hindi Two Lines
ममता तू न गई मेरे मन तें॥
पाके केस जनमके साथी, लाज गई लोकनतें।
तन थाके कर कंपन लागे, ज्योति गई नैननतें॥१॥
सरवन बचन न सुनत काहुके बल गये सब इंद्रिनतें।
टूटे दसन बचन नहिं आवत सोभा गई मुखनतें॥२॥
कफ पित बात कंठपर बैठे सुतहिं बुलावत करतें।
भाइ-बंधु सब परम पियारे नारि निकारत घरतें॥३॥
जैसे ससि-मंडल बिच स्याही छुटै न कोटि जतनतें।
तुलसीदास बलि जाउँ चरनते लोभ पराये धनतें॥४॥
I hope you liked the Tulsidas Poems in Hindi | तुलसीदास जी के कविताएं| Please share these poems with your friends.
- 10 Best Poems on Father in Hindi | पिता पर कविताएँ
- 10 Farewell Poems in Hindi | विदाई समारोह कविता
- 10 Nida Fazli Poems | निदा फ़ाज़ली की कविताएँ
- 10 Poems on Sister in Hindi | बहन पर कविताएँ
- 12 Hindi Poems On Animals | जानवरों पर हिन्दी कविताएँ
- 12 Hindi Poems On Water | पानी पर कविता “जल ही जीवन है”
- 15 Best Piyush Mishra Poems | पीयूष मिश्रा की कविताए
- 17+ Harivansh Rai Bachchan Poems in Hindi | हरिवशंराय बच्चन की कविताएँ
- 21+ माँ पर कविताएं | Mom Poems | Poems on Mother in Hindi
- 31+ Best Atal Bihari Vajpayee Poems | अटल बिहारी वाजपेयी कविताएँ