If you are finding the best Hindi Poems on Water then here we have the best collection of Water poems in Hindi | पानी पर कविता.
We have written Poems on Birds, Animals and Peacock so here in this article we are writing Water poems. It is really important to save the water, that is why we are writing these “जल ही जीवन है” Poems.
Best Water Poems in Hindi | पानी पर कविता
- 1.जल ही जीवन है | शास्त्री नित्यगोपाल कटारे
- 2.पानी की महिमा | रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
- 3.पानी | श्रीप्रसाद | Short Poem on Water in Hindi for class 1
- 4.पानी बहता है | प्रेमशंकर शुक्ल | Short Poem on Water in hindi for class 3
- 5.नहीं व्यर्थ बहाओ पानी | श्याम सुन्दर अग्रवाल | Poem on Save Water in Hindi for class 6
- 6.प्यास और पानी | केदारनाथ अग्रवाल | Short Poem on Save Water Save Life in Hindi
- 7.पानी की तरह कम तुम | प्रभात | Save Water Par Poem
- 8.पानी पानी पानी | गोपाल कृष्ण भट्ट ‘आकुल’ | Pani to Anmol hai Hindi Poem
- 9.मैं पानी हूँ | शरद चन्द्र गौड़ | Jal hi Jivan Par Kavita in Hindi
- 10.पानी | आलोक धन्वा | Poem on Water Drop in Hindi
- 11.पानी दे | नईम | Pani to Anmol Hai Hindi Poem
- 12.पानी | नरेश सक्सेना
1.जल ही जीवन है | शास्त्री नित्यगोपाल कटारे
जल ही जीवन है
जल से हुआ सृष्टि का उद्भव जल ही प्रलय घन है
जल पीकर जीते सब प्राणी जल ही जीवन है।।शीत स्पर्शी शुचि सुख सर्वस
गन्ध रहित युत शब्द रूप रस
निराकार जल ठोस गैस द्रव
त्रिगुणात्मक है सत्व रज तमस
सुखद स्पर्श सुस्वाद मधुर ध्वनि दिव्य सुदर्शन है ।
जल पीकर जीते सब प्राणी जल ही जीवन है ।।भूतल में जल सागर गहरा
पर्वत पर हिम बनकर ठहरा
बन कर मेघ वायु मण्डल में
घूम घूम कर देता पहरा
पानी बिन सब सून जगत में ,यह अनुपम धन है ।
जल पीकर जीते सब प्राणी जल ही जीवन है ।।नदी नहर नल झील सरोवर
वापी कूप कुण्ड नद निर्झर
सर्वोत्तम सौन्दर्य प्रकृति का
कल-कल ध्वनि संगीत मनोहर
जल से अन्न पत्र फल पुष्पित सुन्दर उपवन है ।
जल पीकर जीते सब प्राणी जल ही जीवन है ।।बादल अमृत-सा जल लाता
अपने घर आँगन बरसाता
करते नहीं संग्रहण उसका
तब बह॰बहकर प्रलय मचाता
त्राहि-त्राहि करता फिरता, कितना मूरख मन है ।
जल पीकर जीते सब प्राणी जल ही जीवन है ।।
2.पानी की महिमा | रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
पानी की महिमा धरती पर ,है जिसने पहचानी ।
उससे बढ़कर और नहीं है,इस दुनिया में ज्ञानी ।।
जिसमें ताकत उसके आगे,भरते हैं सब पानी ।
पानी उतर गया है जिसका ,उसकी खतम कहानी ।।
जिसकी मरा आँख का पानी ,वह सम्मान न पाता ।
पानी उतरा जिस चेहरे का,वह मुर्दा हो जाता ॥
झूठे लोगों की बातें पानी पर खिंची लकीरें ।
छोड़ अधर में चल देंगे वे , आगे धीरे-धीरे । ।
जिसमें पानी मर जाता है ,वह चुपचाप रहेगा ।
बुरा-भला जो चाहे कह लो , सारी बात सहेगा ।।
लगा नहीं जिसमें पानी ,उपज न वह दे पाता ।
फसल सूख माटी में मिलती,नहीं अन्न से नाता ।।
बिन पानी के गाय-बैल ,नर नारी प्यासे मरते ।
पानी मिल जाने पर सहसा गहरे सागर भरते ।।
बिन पानी के धर्म-काज भी,पूरा कभी न होता ।
बिन पानी के मोती को ,माला में कौन पिरोता ।।
इस दुनिया से चल पड़ता है ,जब साँसों का मेला ।
गंगा-जल मुँह में जाकर के , देता साथ अकेला । ।
उनसे बचकर रहना जो पानी में आग लगाते ।
पानी पीकर सदा कोसते,वे कब खुश रह पाते ।।
पानी पीकर जात पूछते हैं केवल अज्ञानी।
चुल्लू भर पानी में डूबें , उनकी दुखद कहानी ॥
चिकने घड़े न गीले होते ,पानी से घबराते ।
बुरा-भला कितना भी कह लो ,तनिक न वे शरमाते ॥
नैनों के पानी से बढ़कर और न कोई मोती ।
बिना प्यार का पानी पाए , धरती धीरज खोती ।।
प्यार ,दूध पानी-सा मिलता है जिस भावुक मन में ।
उससे बढ़कर सच्चा साथी , और नहीं जीवन में ।।
जीवन है बुलबुला मात्र बस ,सन्त कबीर बतलाते ।
इस दुनिया में सदा निभाओ, प्रेम -नेम के नाते ।।
3.पानी | श्रीप्रसाद | Short Poem on Water in Hindi for class 1
मुँह धोऊँगा पानी से
मुन्ना बोला नानी से
प्यासे पानी पीते हैं
पानी से हम जीते हैं
जाने कब से पानी है
कितनी बड़ी कहानी है
कहीं ओस है, बर्फ कहीं
पानी ही क्या भाप नहीं
सब रूपों में पानी है
कहती ऐसा नानी है
नदियाँ बहतीं कल-कल-कल
झरने गाते झल-छल-छल
तालों में लहराता जल
कुओं में आता निर्मल
धरती पर जीवन लाया
खेत सींचकर लहराया
करता है यह कितने काम
कभी नहीं करता आराम
पर जब बाढ़ें लाता है
भारी आफत ढाता है।
4.पानी बहता है | प्रेमशंकर शुक्ल | Short Poem on Water in hindi for class 3
पानी बहता है
चाहे कहीं भी हो पानी
वह बह रहा हैपत्तेे पर रखा बूँद बह रहा है
बादल में भी पानी बह रहा हैझील-कुआँ का पानी
बहने के सिवा और वहाँ
कर क्या रहा होता है!गिलास में रखा पानी भी
दरअसल बह रहा हैघूँट में भी पानी
बह कर ही तो पहुँचता है प्यास तकसूख रहा पानी भी बह रहा है
अपने पानीपन के लिएमेरे शब्दो ! तुम्हारे भीतर भी तो
बह रहा है स्वर-जल
नहीं तो कहना कैसे होता प्रांजलपानी बहता है
तभी तक पानी
पानी रहता है !
5.नहीं व्यर्थ बहाओ पानी | श्याम सुन्दर अग्रवाल | Poem on Save Water in Hindi for class 6
सदा हमें समझाए नानी,
नहीं व्यर्थ बहाओ पानी ।
हुआ समाप्त अगर धरा से,
मिट जायेगी ये ज़िंदगानी ।नहीं उगेगा दाना-दुनका,
हो जायेंगे खेत वीरान ।
उपजाऊ जो लगती धरती,
बन जायेगी रेगिस्तान ।हरी-भरी जहाँ होती धरती,
वहीं आते बादल उपकारी ।
खूब गरजते, खूब चमकते,
और करते वर्षा भारी ।हरा-भरा रखो इस जग को,
वृक्ष तुम खूब लगाओ ।
पानी है अनमोल रत्न,
तुम एक-एक बूँद बचाओ ।
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6.प्यास और पानी | केदारनाथ अग्रवाल | Short Poem on Save Water Save Life in Hindi
एक
अब आओ न पत्थर को निचोड़कर निकाल लें पानी
न अब मिलता है जल
न अब बुझती है प्यास
बस मौन ही खड़ा है घर में नल
दमयंती के विरह में उदास
हाय रे यह हमारा अभाग्य
हाय रे यह हमारी बहरी गूँगी बेदरद मानुसपलती।
दो
आओ न अब हम तुम कपार पर अपने दे मारें
खरीदकर पाँच आने का पानी भरा नारियल
न अब मिलता है जल
बस मौन खड़ी है छुटा गई गाय की तरह बड़ी भारी खाली टंकी
हाय रे यह हमारा अभाग्य
हाय रे यह हमारी बेवफा मानुसपलटी की बेवफा बेटी टंकी।
तीन
अब आओ न अपने सिर पर बिठाल लें
जटाजूटधारी शंकर की गंगधारधारी प्रस्तर मूर्ति
जिससे मिलता रहे हमको
जेठ में त्रयतापहारी गंगोदक
और हम होते तृप्त-कछार की तरह हरे
न अब मिलता है जल
न अब बुझती है प्यास
बस मौन खड़ा है घूप से भरा भारी गरमागरम दिन
स्वयं जलता और सबको जलाता उदास दिन
हाय रे हमारा अभाग्य
हाय रे यह हमारी बेवफा मानुसपलटी का जानलेवा दिन
चार
आओ न अब
कंठ से अपने आतप्त झुलसे रेगिस्तान पर
कहीं से भगा लाई किसी क्षीण कटि नाजुक नदी के साथ चलें
और उसका अनमोल गले का मोतियों का हार तोड़ डालें
और इस तरह पाएँ आब-भरपूर आब।
क्योंकि अब मिलता नहीं हमें पानी
क्योंकि अब बुझती नहीं प्यास हमारी
हाय रे हमसे रूठी मानुसपलटी
-प्यार न करती बहरी निठुर मानुसपलटी।
7.पानी की तरह कम तुम | प्रभात | Save Water Par Poem
मैं तुम्हें मेरे लिए पानी की तरह कम होते देख रहा हूँ
मेरे गेहूँ की जड़ों के लिए तुम्हारा कम पड़ जाना
मेरी चिड़ियों के नहाने के लिए तुम्हारा कम पड़ जाना
मेरे पानी माँगते राहगीर के लिए तुम्हारा ग़ायब हो जाना
मेरे बैल का तुम्हारे पोखर पर आकर सूनी आँखों से इधर-उधर झाँकना
मेरी आटा गूंधती स्त्री के घड़े में तुम्हारा नीचे सरक जानातुम्हारे व्यवहार में मैं यह सब होते देख रहा हूँ
लगातार कम होते पानी की तरह
मैं तुम्हें मेरे लिए कम होते देख रहा हूँपानी रहित हो रहे इलाकों की तरह
मैं पूछ भी नहीं पा रहा हूँ
क्यों हो रहा है ऐसा ?
पानी तुम क्यों कर रहे हो ऐसा ?पानी चला गया तो नदी किसके पास गई कुछ कहने
वैसी नदी की तरह लीन हूँ मैं अपने मेंनदी के बहाव की सूखी रेत में सुदूर तक फैले आक की तरह
अभी भी तुम्हारी याद का हरा बचा हुआ मुझ में
8.पानी पानी पानी | गोपाल कृष्ण भट्ट ‘आकुल’ | Pani to Anmol hai Hindi Poem
पानी पानी पानी,
अमृतधारा सा पानी
बिन पानी सब सूना सूना
हर सुख का रस पानीपावस देख पपीहा बोल
दादुर भी टर्राये
मेह आओ ये मोर बुलाये
बादर घिर-घिर आये
मेघ बजे नाचे बिजुरी
और गाये कोयल रानी।रुत बरखा की प्रीत सुहानी
भेजा पवन झकोरा
द्रुमदल झूमे फैली सुरभि
मेघ बजे घनघोरा
गगन समन्दर ले आया
धरती को देने पानी।बाँध भरे नदिया भी छलकीं
खेत उगाये सोना
बाग बगीचे,हरे भरे
धरती पर हरा बिछौना
मन हुलसे पुलकित तन झंकृत
खुशी मिली अनजानी।उपवन कानन ताल तलैया
थे सूखे दिल धड़कें
जाता सावन ज्योंही लौटा
सबकी भीगी पलकें
क्या बच्चे क्या बूढे नाचे
सब पर चढ़ी जवानी।पानी पानी पानी।
9.मैं पानी हूँ | शरद चन्द्र गौड़ | Jal hi Jivan Par Kavita in Hindi
मैं पानी हूँ
आपकी आँखों का पानी
प्यासे की प्यास
बुझाने वाला पानी
रंगहीन, गंधहीन पानी
झील नदी नालों
पोखरों
तालाब और कुँए का पानी
वर्षा का पानी
ओस का पानी
समुन्दर का लहलहाता
इठलाता बलखाता पानी
बर्फ़ का जमा
बादलों का वाष्पित पानीनदियों में बहता
तालाब पोखरों में बँधता
बादलों में आसमान छूता
उड़ता बरसता
फिर बहता
मैं रूकता नहीं
मैं चलता रहता हूँ
अपनी मंज़िल की ओर
सारा जहाँ मेरी मंज़िलसमंदर मेरा अन्तिम पड़ाव
जहाँ पर भी
मैं मारता हिलोरे
और उड़ जाता
बादल बन करमेरे बिना जीवन नहीं
मेरे बिना जग नहीं
मैं ना गिरूँ तो
पड़ जाता सूखा
मैं बरस पड़़ूँ
तो आ जाती बाढ़मेरे जीवन चक्र
को मत रोको
मैं अनमोल हूँ
मुझे सहेजो
10.पानी | आलोक धन्वा | Poem on Water Drop in Hindi
आदमी तो आदमी
मैं तो पानी के बारे में भी सोचता था
कि पानी को भारत में बसना सिखाऊँगासोचता था
पानी होगा आसान
पूरब जैसा
पुआल के टोप जैसा
मोम की रोशनी जैसागोधूलि में उस पार तक
मुश्किल से दिखाई देगा
और एक ऐसे देश में भटकायेगा
जिसे अभी नक़्शे में आना हैऊँचाई पर जाकर फूल रही लतर
जैसे उठती रही हवा में नामालूम गुंबद तक
यह मिट्टी के घड़े में भरा रहेगा
जब भी मुझे प्यास लगेगीशरद में हो जायेगा और भी पतला
साफ़ और धीमा
किनारे पर उगे पेड़ की छाया मेंसोचता था
यह सिर्फ़ शरीर के ही काम नहीं आयेगा
जो रात हमने नाव पर जगकर गुज़ारी
क्या उस रात पानी
सिर्फ़ शरीर तक आकर लौटता रहा ?क्या-क्या बसाया हमने
जब से लिखना शुरू किया ?उज़डते हुए बार-बार
उज़डने के बारे में लिखते हुए
पता नहीं वाणी का
कितना नुक़सान कियापानी सिर्फ़ वही नहीं करता
जैसा उससे करने के लिए कहा जाता है
महज़ एक पौधे को सींचते हुए पानी
उसकी ज़रा-सी ज़मीन के भीतर भी
किस तरह जाता हैक्यात स्त्रियों की आवाज़ों में बच रही हैं
पानी की आवाज़ें
और दूसरी सब आवाज़ें कैसी हैं ?दुखी और टूटे हुए हृदय में
सिर्फ़ पानी की रात है
वहीं है आशा और वहीं है
दुनिया में फिर से लौट आने की अकेली राह।
11.पानी दे | नईम | Pani to Anmol Hai Hindi Poem
पानी दे
पानी दे, गुड़-धानी दे।ठहरे हुए नदी-पोखर को
फिर से नई रवानी दे।
पानी दे, पानी दे।सब्रोक़रार बाँध जीवन के,
नमक-मिर्च-प्याजों के बल,
टिके हुए बस दो रोटी पर
खा-पीकर मोटे चावल;मुँह बाए ये प्रश्न खड़े हैं
उत्तर तू लासानी दे।
पानी दे
गुड़-धानी दे।इन बाँधों से उन बाँधों तक,
पूरा एक महाभारत वे;
लड़े जा रहे भूखे-टूटे,
कुछ स्वारथा कुछ परस्वारथ से।राह बता लँगड़े-लूलों को
गूँगों को तू बानी दे।पानी दे, पानी दे,
गुड़-धानी दे।
12.पानी | नरेश सक्सेना
बहते हुए पानी ने
पत्थरों पर निशान छोड़े हैं
अजीब बात हैपत्थरों ने पानी पर
कोई निशान नहीं छोड़ा।
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