Are you leaving from the Schoool or College and finding the best Farewell Pomes in Hindi to recite on Farewell Day? Then you are in the right place, here we have collected the best Farewell Poem in Hindi for College, School, Friends, Teachers and Boss.
We have the best Vidai poems[विदाई समारोह कविता] in Hindi which are very famous and you can use these Hindi Farewell poems in Farewell Day.
10 Best Hindi Farewell Poems | विदाई समारोह कविता
- विदाई-गान | जनार्दन राय | Farewell Poem in Hindi for Friends
- विदाई | नरेश अग्रवाल | Farewell Poem for Seniors
- विदा कर
- विदाई की सीख | रेखा चमोली | College Farewell Poem in Hindi
- विदाई का गीत | अज्ञेय | विदाई समारोह कविता
- अपने छात्रों की विदाई पर | महेश उपाध्याय | विदाई समारोह पर कविता
- विदाई | रोज़ा आउसलेण्डर | Farewell Party ke liye Kavita
- विदाई | रमेश क्षितिज | Vidai Samaroh Par Kavita
- दफ़्तर से विदाई | योगेंद्र कृष्णा | Vidai ki Kavita in Hindi
- करूँ आज कैसे विदाई तुम्हारी | मृदुला झा | Vidai Kavita in Hindi
विदाई-गान | जनार्दन राय | Farewell Poem in Hindi for Friends
आये संग बहार लिये, जा रहे उसे ले साथ कहाँ?
पूछ रहा यह चमन ‘तरुण’ बोलो मेरा गुलजार कहाँ?
बेलि लगायी शिक्षा की सींचे इसको श्रम जल से तुम,
पनपी हरियाली ले फूली खुशबू भी दे जाते तुम।
आया था उल्लास नया, चेतना नयी लहरायी जो,
गम जड़ता का भार दिये जा रही थी दिल बहलाती जो।
उगे ‘अरुण’ जो विभा ‘तरुण’ से ले प्रकाश फैलाने को,
दूर हुए जाते क्यों फैलाते तुम पुंज पहारों को।
दीप जलाये शिक्षक उर में आशा के, नवजीवन के,
सेवा निवृति के विरह झकोरे पवन चले उत्पीड़ण के।
गाऊँ क्या दिल उमग न पाता प्यारे जीना सुख पाना,
नेह-लता मुरझा नहीं जाये सिंचन सुधि लेते रहना।
विदाई | नरेश अग्रवाल | Farewell Poem for Seniors
एक पत्थर जो पड़ा है वर्षों से वहीं का वहीं
कभी विदा नहीं होता जलधारा के साथ
और एक दिन हार मान लेती है नदी
ना ही कभी विदा होते हैं उर्वरक धरती से
चाहे कितनी ही फसलें उगाई और काट दी जाती रहें,
तुम जो मेरे सीने से निकलती हुई धडक़न हो
जो एक दिन दो से तीन हुई थी
जहां भी रहोगी, कहीं की भी यात्रा करती हुई
फिर से लौट कर आओगी
नाव की तरह अपने तट पर
और हम फिर से मिलकर एक हो जाएंगे
और बातें करेंगे हमेशा की तरह
उन्हीं पुरानी कुर्सियों पर बैठ कर।
विदा कर रहे हैं | शिवदेव शर्मा ‘पथिक’ | Farewell Poem in Hindi For Teachers and Friends
तुम्हें पास आकर विदा कर रहे हैं
कहीं दूर जाकर हमें मत भुलाना
अगर भूल जाओ तो चिन्ता नहीं है
मगर याद आकर हमें मत रुलाना !तुम्हारे लिए तो तड़पना पड़ेगा
बहुत पास आकर बने हो पराए
तुम्हारे लिए क्यों न आएँगी आहें
दबेगा नहीं दर्द दिल का दबाएतुम्हें आँख से हम मिटाने चले हैं
कहीं आँसुओं में नज़र आ न जाना
तुम्हें पास आकर विदा कर रहे हैं
कहीं दूर जाकर हमें मत भुलाना !बहुत हो चुकी रोक लेने की कोशिश
मनाए न माने मगर जानेवाले
अभी तो मिले थे अभी जा रहे हैं
अभी जा रहे हैं अभी आनेवाले !भुलाने की तुमने क़सम ली अगर ले
शपथ है कभी भी सपन में न आना
तुम्हें पास आकर विदा कर रहे हैं
कहीं दूर जाकर हमें मत भुलानाअगर जानते ये कि मिलना बुरा है
किसी बेरहम से मिला ही न होता
विदाई की रहती न कोई कहानी
जुदाई से कोई गिला ही न होताअगर मन पतंगा नहीं मानता है
तुम्हें चाहिए क्या दिए को बुझाना ?
तुम्हें पास आकर विदा कर रहे हैं
कहीं दूर जाकर हमें मत भुलाना ।चले जा रहे हो तुम्हारे मिलन के
ये सारे सितारें ग़वाही रहेंगे
ग़वाही रहेंगी ये जूही की डारें
नदी के किनारे ग़वाही रहेंगेतुम्हारे सहारे कभी हम भी कुछ थे
तुम्हीं से अलग कर रहा है ज़माना
तुम्हें पास आकर विदा कर रहे हैं
कहीं दूर जाकर हमें मत भुलाना !किसी के गरम आँसुओं की कलम से
लिखी जा रही है तुम्हारी विदाई
किसी की नरम कल्पना की शरम से
लजाई हुई है तुम्हारी जुदाईजहाँ जो मिले वे विदा हो गए हैं
कि धंधा है कोई दिलों का लगाना
तुम्हें पास आकर विदा कर रहे हैं
कहीं दूर जाकर हमें मत भुलाना !उमड़ आँख में आँसुओं की घटाओं
अरे! उनको इसकी ख़बर भी नहीं है
हमारी नज़र आज उनकी तरफ़ है
मगर इस तरफ़ वो नज़र ही नहीं हैफ़िक़र ही नहीं है उन्हें अब किसी की
अभी सोचते हैं सवारी मँगाना
तुम्हें पास आकर विदा कर रहे हैं
कहीं दूर जाकर हमें मत भुलाना !मिले थे तो सोचा बिछुड़ना न होगा
चले हैं सफ़र में तो मिलना न होगा
मगर राह से राह मिलने न पाई
डगर से लिखी थी तुम्हारी विदाईकि मिलना बिछुड़ना यही ज़िन्दगी है
मनाया सभी ने मगर मन न माना
तुम्हें पास आकर विदा कर रहे हैं
कहीं दूर जाकर हमें मत भुलानाहमारे लिए फूल शोले बने हैं
तुम्हारे लिए हो मुबारक़ बहारें
हमारी हँसी भी लिए जा लिए जा
मुबारक़ तुम्हें आसमाँ के सितारेंकभी डूबती प्यास बढ़ने लगे तो
ज़रा ओस बनकर वहीं झिलमिलाना
तुम्हें पास आकर विदा कर रहे हैं
कहीं दूर जाकर हमें मत भुलानाअगर हो तुम्हें भूल जाने की आदत
हमें भूल जाना नहीं भूल होगी
हमें भूलकर तुम ख़ुशी से रहोगे
हमें भी इसी से ख़ुशी कुछ मिलेगीभला हम ग़रीबों की हस्ती ही क्या है ?
न हक़ है हमें एक नाता निभाना ?
तुम्हें पास आकर विदा कर रहे हैं
कहीं दूर जाकर हमें मत भुलानाविदाई तुम्हारी रुलाएगी हमको
बुलाए बिना याद आएगी हमको
कि मौसम तुम्हें याद देगा हमारी
कभी तो कहीं याद आएगी तुमको !कभी याद आने लगे जो हमारी
हमें भूलने के लिए मुस्कुराना
तुम्हें पास आकर विदा कर रहे हैं
कहीं दूर जाकर हमें मत भुलाना!कहाँ कौन पंछी करेगा बसेरा
कहाँ घोंसला कल बनाएगा कोई
पड़े गीत सौ-सौ मिलन के रहेंगे
विदाई की कविता सुनाएगा कोईनहीं कम सकेगा कभी आँसुओं का
किसी याद के ही लिए रिमझिमाना
बहुत पास आकर विदा कर रहे हैं
कहीं दूर जाकर हमें मत भुलानाअगर जा रहे हो तो जाओ मगर हम
तेरी याद दिल में बसाकर रहेंगे
निगाहों में आँसू हँसी चेहरे पर
छिपा दर्द ये मुस्कुराकर कहेंगेहमारी यही कामना अन्त में हो
जहाँ भी रहो तुम वहीं लहलहाना
तुम्हें पास आकर विदा कर रहे हैं
कहीं दूर जाकर हमें मत भुलाना
विदाई की सीख | रेखा चमोली | College Farewell Poem in Hindi
सुनों बिटिया
हमारे पास कुछ नहीं सिवाय इज्जत के
यही कमायी है उम्र भर की
किसी का बुरा न किया
किसी का हक नहीं मारा
सबसे बना के रखी
तभी खा पा रहें हैं दो रोटी
बेटी तो होती ही पराया धन
तुम्हारे पैदा होने के क्षण से ही
तुम्हारी विदाई की सोच
एक फॉस सी चुभती रही भीतर
ज्यादा तेज लडकियां बिगाड देती हैं कुल को
कलह होता है
इसीलिए धरती माता कहा जाता बेटियों को
सात बुद्धि होती है लडकी के पास
संभाल लेती है सब कुछ
देखो, सुनो कहाँ उठ कर चल दीं
मुँह ना फुलाओ
तुम्हारे भले को कह रहे हैं
मान जाओ बिटिया
कुछ नहीं हमारे पास सिवाय इज्जत के
भरोशा है तुम पर
कुछ ऊॅच नींच हो जाए तो संभाल लोगी
सब कितनी तारीफ करते हैं
गऊ समान बिटिया है तुम्हारी
जा रही हो दूसरे घर
याद रखना बिटिया
चिता के साथ ही जाए तुम्हारी रुलाई
तुम्हारे दर्द तुम्हारे साथ ही जलें
और जो धुआँ उठे वो भी उजला ही हो
इसीलिए
कभी उफ न करना बिटिया
लाज रख लेना हमारी।
विदाई का गीत | अज्ञेय | विदाई समारोह कविता
यह जाने का छिन आया
पर कोई उदास गीत
अभी गाना ना।
चाहना जो चाहनापर उलाहना मन में ओ मीत!
कभी लाना ना!
वह दूर, दूर सुनो, कहीं लहर
लाती है और भी दूर, दूर, दूरतर का स्वर,उसमें हाँ, मोह नहीं,
पर कहीं विछोह नहीं,
वह गुरुतर सच युगातीत
रे भुलाना ना!नहीं भोर-संझा उमगते-निमगते
सूरज, चाँद, तारे, नहीं वहाँ
उझकते-झिझकते डगमग किनारे;
वहाँ एक अन्तःस्थ आलोकअविराम रहता पुकारे;
यही ज्योति-कवच है हमारा निजी सच,
सार जो हम ने पाया गढ़ा, चमकाया, लुटाया:
उस की सुप्रीत छाया से बाहर, ओ मीत,
अब जाना ना!कोई उदास गीत, ओ मीत!
अभी गाना ना!
अपने छात्रों की विदाई पर | महेश उपाध्याय | विदाई समारोह पर कविता
एक बच्चे की तरह प्यार से पाला है तुम्हें
अपने हाथों के सहारों से सँभाला है तुम्हें
बाप के दिल की तरह हमने जिगर फैलाकर
हमने मारा भी, मारा है मगर सहलाकरआज उस प्यार को किस तौर विदाई दे दूँ
भर के वरदान में सारी ही पढ़ाई दे दूँ
काश कुछ ऐसा हुनर मेरी जुबाँ में होता
स्वर्ग का भूमि से होता नहीं है समझौताहम मुसाफिर की तरह आके चले जाते हैं
फूल-सा खिलके बहारों में बिखर जाते हैं
गन्ध अपनी तुम्हें देते हैं बहुत ख़ुश होकर
और हम ख़ुश हैं ये ख़ुशबू को बीज-सा बोकरतुम इसे अपने पसीने से सींचना, बोना
और फिर देश के आँगन में सुर्ख़रू होना
ज्ञान की गन्ध पसीने में मुस्कराती है
यह खिज़ाओं के बग़ीचों में लहलहाती हैतुम भी इस देश के आँगन में जगमगाओगे
हमको उम्मीद, सितारों से चमचमाओगे
रात को दीप, सुबह आफ़ताब बन जाओ
हर मुसीबत में चट्टानों की तरह तन जाओज़िन्दगी नींद से पहले का नाम है गोया
भिड़ना तूफ़ान से वीरों का काम है गोया
इम्तहाँ कुछ नहीं तूफ़ान का छोटा भाई
तोड़ दो इसकी नसें ले के एक अँगड़ाई
विदाई | रोज़ा आउसलेण्डर | Farewell Party ke liye Kavita
तुम सोचते हो अपने
उदित होते हुए दिन को
तैरते हो कठिनाई से
घण्टों पानी मेंरात
ध्यान रखती है तुम्हारा
रात-भर
नींद में चलती हुई साँसों में
तुम ध्यान नहीं देते
कि तुम विदा हो रहे हो II
विदाई | रमेश क्षितिज | Vidai Samaroh Par Kavita
भन्दिनू है चौतारीमा उभिएको बोट
यही बाटो गयो कोही बिसाउँदै चोटकहाँ होला सपनाको फाँट फूल्ने देश
खोज्दै हिँडे सहँदै यी पाइतालामा ठेस
सम्झाइदिनू मनभरि पीडा धेरै बोकी
ओरालीमा फर्की हेथ्र्यो पाइला रोकीरोकीअसिनाले दाग लायो फूलको थुङ्गाभरि
तैरिँदैछु मनको तलाउ सम्झनाको डुङ्गा चढी
फर्किनेछु कुनै बेला भनिदिनू दौँतरीलाई
साक्षी राखी जान्छु यही ढुङ्गे चौतारीलाई!
दफ़्तर से विदाई | योगेंद्र कृष्णा | Vidai ki Kavita in Hindi
इतनी आसानी से
नहीं हो जाता कोई विदावह थोड़ा-थोड़ा
जरूर रह जाता है
तुम्हारे साथअदृश्य और निराकार
और तुम भी
थोड़ा ही सहीचले जाते हो
दूर तलक साथ-साथ उसके
जो हुआ है
अभी-अभी तुमसे विदा…
करूँ आज कैसे विदाई तुम्हारी | मृदुला झा | Vidai Kavita in Hindi
कि डसने लगी है जुदाई तुम्हारी।
अगरचे दिये हैं कई जख्म तुमने,
करूँ कैसे मैं जग हँसाई तुम्हारी।कहूँ हाल अपना मैं किस-किस से जाकर,
कि खलने लगी बेवफ़ाई तुम्हारी।लगी हथकड़ी जो मुहब्बत की तुमको,
तो होगी कभी क्या रिहाई तुम्हारी।बहारों का देखा जो दिलकश नज़ारा,
रुलाने लगी आशनाई तुम्हारी।
I hope you liked the Farewell Poems in Hindi | विदाई समारोह कविता. Please share these Hindi Farewell Pomes with Your friends and Family.
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